पटना 7 जुलाई : इंडियन मुजाहिद्दीन के दहशतगर्दों के खुलासे के बाद सिक्यूरिटी इंतजामों में ऐसी ढिलाई हैरान करने वाली है। गुजिस्ता अक्टूबर में दिल्ली में पकड़े गये इंडियन मुजाहिद्दीन के तीन दहशतगर्दों ने पूछताछ में पुलिस को जानकारी दी थी कि बोधगया वाक़ेय मंदिर उनके निशाने पर है। यह मंदिर यूएन के आलमी वारिस में शुमार है।
मालूमात के मुताबिक मंदिर अहाते में और सैयाहों पर नजर रखने के लिए पुलिस फ़ोर्स तैनात करने का फैसला किया गया था। मंदिर की हिफाज़त की मॉनिटरिंग डीएसपी रैंक के अफसर को सौंपी गयी थी। लेकिन आज जिस तरह बम धमाके हुए उससे साफ है कि मंदिर की हिफाज़त को लेकर अब तक सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ाए जाते रहे। मंदिर अहाते में पहले से मुक़र्रर दो मेटल डिटेक्टर काफी पहले से खराब हैं। उसे अब तक नहीं बनवाया गया है। मुकामी थाने में मॉनिटरिंग रूम ने भी काम करना शुरू नहीं किया है। सिक्यूरिटी इंतजमों को लेकर यह मंसूबा बनी थी कि पुलिस स्टेशन में बैठकर मंदिर की मॉनिटरिंग की जाएगी।
दहशत हाथ या दूसरी बात
दहशत गर्द आमतौर पर भीड़ के दरमियान बम धमाके करते हैं ताकि उसका ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो। बोधगया में आइसोलेटेट जगह पर धमाके हुए। पुलिस इसके मद्देनजर भी जांच में जुटी है। मुकामी सतह पर अपना मुफाद के लिए तो धमाका नहीं कराया गया? इसकी कई वजहें हो सकती हैं। मंदिर के अन्दर सिक्यूरिटी एजेंसियों को ठेका देने का काम इंतेजामिया कमेटी करती है। यह लाखों का कारोबार होता है। जांच एजेंसियां इस मौजू पर भी निगाह रख रही हैं। हालांकि एक अफसर ने बताया कि फिलहाल बम में इस्तेमाल मटेरियल की जांच की जाएगी। इससे पता चलेगा कि यह काम किस आतंकी तंजीम का हो सकता है?
तौविल अरसे से चल रही है टेम्पल मैनेजमेंट को लेकर लड़ाई
बोधगया मंदिर इंतेजामिया पर बौद्धों का हक नहीं है। इसके लिए बनी कमेटी में चार हिंदू और चार बौद्ध मेंबर होते हैं। इसके पदेन सदर डीएम हैं। इसके ऑपरेशन के लिए बिहार हुकूमत 1949 में एक कानून बनाया था। तब से बौद्ध इस कानून को बदलने की मांग करते रहे हैं।
यह ऐसा इकलौता मिसाल है जहां बौद्धों के मज़हब मुकाम के इंतेजामिया पर उनका हक नहीं है। दरअसल, मंदिर अहाते में ही विष्णु की भी मूर्ति है। बुद्ध को विष्णु का अवतार माना जाता है। जब-जब मंदिर के इंतेजामिया पर बौद्धों के हकूक की बात वजेह होती रही है, हिंदूनवाज़ तंजीम वहां खुराफात भी करते रहे हैं।
मुल्क के मुख्तलिफ मुख्तलिफ जगहों पर मंदिर इंतेजामिया को हक बौद्धों को सौंपने की मांग को लेकर बौद्ध तहरीक करते रहे हैं। हालांकि हेसास मामला होने के चलते हुकूमतें इसे टालती रही हैं। उन्हें हिंदुओं के नाराज होने का खतरा डराता है। यही वजह है कि बोधगया मंदिर इंतेजामिया एक्ट, 1949 में तरमीम के बारे में गौर भी नहीं किया जाता है।
क्या कहते हैं कि मंदिर आजादी तहरीक के सदर
बोधगया मंदिर आजादी तहरीक के कौमी सदर भंते आनंद ने महाराष्ट्र के अकोला से बातचीत में इलज़ाम लगाया इस धमाके के पीछे आरएसएस, विहिप और बजरंग दल जैसे तंजीमों का हाथ हो सकता है। नीतीश हुकूमत से भाजपा के अलग होने के बाद ऐसी कार्रवाई इसलिए करायी गयी ताकि मंदिर इंतेजामिया को बदलने के लिए चल रहे तहरीक को मुतासिर किया जा सके। उन्होंने कहा कि मंदिर इंतेजामिया का जिम्मेदारी बौद्धों के हाथ में होना चाहिए। मगर बाद किस्मती से वजीर ए आला नीतीश कुमार इसके बारे में कोई पहल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर आज़ाद का तहरीक पूरे मुल्क भर में तेज किया जाएगा