फाइनेंस वज़ीर अरुण जेटली ने अमेरिका के साथ बातचीत के दौरान दहशतगर्द को हिमायत दे रहे और दहशतगर्द ढांचों का पालन-पोषण कर रहे मुल्क़ों के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा उठाया। जेटली ने भारत-अमेरिका इकॉनमी और माली हिस्सेदारी की मिनिस्टर सतह की छठी सालाना बैठक के दौरान कहा कि फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को मुख़्तलिफ़ मुल्क़ों में दहशतगर्द के फाइनेंस पोषण मुतल्लिक़ कानूनों का असरी तौर से यकीन दिहानी करना चाहिये।
उन्होंने किसी मुल्क़ का नाम लिये बिना कहा कि एफएटीएफ को दहशतगर्द को स्पॉन्सर करने और इसके लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराने वाले मुल्क़ों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिये। साथ ही उसे टैक्स हेवेन समेत विदेशों में टैक्स चोरी रोकने की दिशा में भी तवज्जो देना चाहिये।
बैठक के दौरान अमेरिका ने भारत के क़ौमी इन्वेस्ट और अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) के लिए मदद की पेशकश की ताकि मुल्क़ में अवसंरचना इन्वेस्ट को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही उसने स्थानीय निकायों को माली मदद देने में भी इंटरटेस्ट दिखाई। अमेरिका के साथ बैठक के अलावा फाइनेंस वज़ीर ने जी-20 के फाइनेंस वज़ीरों और सेंटर बैंकों के गवर्नरों की बैठक और ब्रिक्स के वज़ीरों और सेंटर बैंकों के गवर्नरों की बैठक में हिस्सा लिया।
उन्होंने ब्रिक्स के न्यू डेवलपमेंट बैंक के गर्वनरों की बैठक में भी शिरकत की। उन्होंने कमजोर अलामी इकॉनमी पर फ़िक़्र जाहिर की और कहा कि हालांकि भारत पिछली तीन तिमाहियों के दौरान बड़ी इकॉनमी में सबसे तेजी से तरक़्क़ी कर रहा है, लेकिन अलामी तरक़्क़ी अनुमान में मुसलसल कमी करनी पड़ रही है। इस सिम्त में कमजोर वैश्विक मांग, संकुचित माली बाजार, कारोबार में कमी और अनिश्चित पूंजी प्रवाह अहम रुकावट हैं।