दिल्ली की एक अदालत ने आज हिज़्बुल-मुजाहिदीन के दो मुश्तबा अरकान को दिल्ली में 2009 में यौम आज़ादी से पहले दहशतगर्द हमले करने के मंसूबा के इल्ज़ाम से बरी करदिया।
उन पर इल्ज़ाम आइद किया गया था कि उन्होंने हिज़्बुल-मुजाहिदीन के सरबराह सय्यद सलाहुद्दीन की कहने पर दिल्ली में यौम आज़ादी से पहले हमले करने का मंसूबा बनाया था। 35 साला तानतरे और 30 साला भट्ट को 6 अगस्ट 2009 में गिरफ़्तार करते हुए पुलिस ने उन पर दहशतगर्द हमलों का मंसूबा तय्यार करने का इल्ज़ाम आइद किया था।
एडीशनल सेशन जज अतुल कुमार गर्ग ने जावेद अहमद तानतरे और आशिक़ अली भट्ट को इन इल्ज़ामात से बरी करदिया और कहा कि ये सारा मुक़द्दमा मंसूबा बंद ड्रामा है। उन पर इन्सिदाद-ए-दहशत गर्द सरगर्मियां क़ानून के तहत मुक़द्दमा दर्ज किया गया था जिसे अदालत ने बर्ख़ास्त करदिया।
पुलिस का इल्ज़ाम था कि ये दोनों बराह नेपाल पाकिस्तान से हिंदुस्तान में दाख़िल हुए हैं। ताहम अदालत ने पुलिस के बयान को क़बूल नहीं किया।