दहश्तगर्दी का सब से ज़्यादा शिकार ममालिक में हिंदूस्तान भी शामिल

नई दिल्ली /23 सितंबर (एजैंसीज़) तशद्दुद का जायज़ा लेने वाले बैन-उल-अक़वामी रिसर्च आर्गेनाईज़ेशन ने हिंदूस्तान को सब से ज़्यादा दहश्तगर्दी का शिकार होने वाले ममालिक में शुमार किया है, लेकिन तशद्दुद से होने वाली अम्वात की तादाद के सिलसिले में हिंदूस्तान बहुत नीचे है। तंज़ीम ने मावसट तशद्दुद पर भी निहायत मबसूत आदाद-ओ-शुमार पेश करते हुए कहा है कि मावादी अब हिंदूस्तान की 28 में से 20 रियास्तों में और 626 अज़ला में से तक़रीबन 200 ज़िलों में फैल चुके हैं। जिनेवा में वाक़्य तंज़ीम ग्रैजूएट इंस्टीटियूट ने तशद्दुद में वाक़्य होने वाली अम्वात के के लिहाज़ से हिंदूस्तान को आठवीं मुक़ाम पर रखा ही, जब कि हर एक लाख अफ़राद में तशद्दुद से होने वाली अम्वात की शरह के मुआमले में पाकिस्तान पांचवें मुक़ाम पर है। हिंदूस्तान में गुज़श्ता रोज़ जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदूस्तान में 1994 -ए-से 2009 -के दरमयान दहश्तगरदों के हमलों में 58 हज़ार से ज़ाइद अफ़राद हलाक हुई, जिन में 52 फ़ीसद शहरी अफ़राद थे। तंज़ीम ने कहा है कि मुसल्लह तशद्दुद को रोकने और इस में कमी लाने के मक़सद से हिंदूस्तान के उसूल-ओ-क़वानीन पर मलिक को होने वाले फ़ौजी ख़तरे ही हावी रहे हैं। इरादा हो या ना हो, लेकिन इस सोच की वजह से मुसल्लह तशद्दुद के दीगर ख़तरात की वजूहात पर से हुकूमत की तवज्जा हट गई ही। अमरीका पर 9/11 के हमलों, मुल्क में हुई दहश्तगर्दी के वाक़ियात, ख़ास तौर पर 13 दिसंबर 2001 -को पार्लीमैंट पर हमले और मुंबई पर 26 और 29 नवंबर 2008 -को हुए दहश्तगर्द हमलों के पेशे नज़र गुज़श्ता चंद बरसों से हुकूमत अलहिदगी पसंद और दीगर ममालिक के ज़रीया की जा रही दहश्तगर्दी पर ज़्यादा तवज्जा दे रही है। लेकिन मरने वालों, ज़ख़मीयों, मुतास्सिरीन और इस तरह के दीगर ख़तरात में घिरे लोगों की तादाद के लिहाज़ से तशद्दुद की दीगर सूरत कहीं ज़्यादा तबाहकुन साबित हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदूस्तान में 2009 – में दहश्तगर्द सरगर्मीयों से होने वाली अम्वात के मुक़ाबले में क़तल के 14 गुना ज़्यादा मुआमलात दर्ज किए गए, यानी क़तल के 32,369 मुआमलात और दहश्तगर्दी के ज़रीया होने वाली अम्वात के 2231 वाक़ियात मंज़रे आम पर आए।