दहश्तगर्दी से निमटने में आलमी(अंतर्राष्ट्रीय) बिरादरी की मत्लबबरारी अफ़सोसनाक

दुन्या में अमन, ख़ुशहाली और तरक़्क़ी के लिए दहश्तगर्दी का ख़ातमा करना मुशतर्का(अहेम‌) ज़िम्मेदारी, अक़वाम-ए-मुत्तहिदा इजलास(मिटींग‌) से अडवानी का ख़िताब

दहश्तगर्दी को एक हमा रुख़ी ख़तरा क़रार देते हुए बी जे पी के सिनीयर‌ लीडर एल के अडवानी ने कहा कि आलमी बिरादरी, दहश्तगर्द ग्रुपों के साथ निमटने में मतलब की कार्रवाई इख़तियार करने की मुतहम्मिल नहीं होसकती। ये दहश्तगर्द ग्रुपस, तंगनज़री की पॉलीसी के त‌हत कोई भी हुकूमत दहश्तगर्दी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं करसकती। एल के अडवानी जो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असैंबली के सेशन में शिरकत करने वाले हिंदूस्तानी पारलिमेंट्रि के ग्रुप में शामिल हैं, ने कहा कि हिंदूस्तान को पिछ्ले दो ढाई दहों से सिलसिला वार ख़तरनाक दहश्तगर्दी का सामना है।

जुनूबी एशियाई ख़ित्ता से दहश्तगर्द सरगर्मियां जारी हैं। अलक़ायदा, तालिबान, लश्कर तैबा और जमात अलदावह जैसी तनज़ीमें सारी दुनया में सब से बड़ी दहश्तगर्दी की सरगर्मियों में मसरूफ़ हैं। दहश्तगर्दी से मुक़ाबले तमाम महाज़ों पर पूरी मज़बूती से करना है। आलमी बिरादरी को इस वक़्त कामयाबी नहीं मिलेगी। इन ग्रुपस से निमटने में इस के मतलब पसंदाना रवैय्या के बाइस दहश्तगर्द ग्रुप बढ़ते जा रहे हैं। दहश्तगर्दी के ठिकानों को ख़तम‌ करने में भी मत्लबबरारी से काम नहीं लिया जाना चाहीए।

अडवानी आलमी(अंतर्राष्ट्रीय) दहश्तगर्दी के ख़ातमे के लिए इक़दामात पर ख़िताब कररहे थे। उन्हों ने कहा कि दहश्तगर्दी एक ख़तरनाक लानत है। इस का सरकारी सरपरस्ती में इस्तेमाल करना सब से बदतरीन और तंगनज़री की पॉलीसी है। बिलाशुबा जो लोग इस ख़तरे से निमटने में कोताही कररहे हैं, उन के रवैय्या पर अफ़सोस है। जो लोग दहश्तगर्दी के ख़तरात का सामना कररहे हैं और जो लोग क़दीम(पुराने) दौर में तलवार के साथ खेलते थे, अब वो दहश्तगर्दी की सरपरस्ती कररहे हैं। उन्हों ने कहा कि दहश्तगर्दी, इंतिहापसंदी तख़रीब कारी मुसलसल अमन, तरक़्क़ी और ख़ुशहाली के लिए संगीन चैलेंज बने हुए हैं।

ख़ासकर जुनूबी एशियाई ख़ित्ते की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली-ओ-अमन के लिए ख़तरा है। उन्हों ने आलमी बिरादरी से कहा कि वो रुकन ममालिक के दरमियान हक़ीक़ी तआवुन(सहयोग) के साथ अपनी इजतिमाई कोशिशों में तेज़ी पैदा करे ताकि उभरती दहश्तगर्दी को कुचला जा सके। इस बात की निशानदेही करते हुए कि दहश्तगर्दी के इदारों का क़ियाम आलमी अमन और सलामती के लिए सब से बड़ा संगीन चैलेंज है, ये दहश्तगर्दी आज की दुन्या का मसला बनी हुई है बल्कि आलमी बिरादरी के ख़िलाफ़ एक मुनज़्ज़म जंग भी छेड़ चुकी है।

हिंदूस्तान हर मसले पर और हर किस्म की दहश्तगर्दी की मुज़म्मत करता है। दहश्तगर्दी से पैदा होने वाली मुश्किलात और मसाइल को हक़बजानिब क़रार नहीं दिया जा सकता। हम को इस से निमटने के लिए ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है ताकि दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ मोस्सर कार्रवाई की जा सके। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की तरफ‌ से दहश्तगर्दी से निमटने के लिए उठाए गए इक़दामात को तस्लीम करते हुए अडवानी ने कहा कि इस आलमी इदारा को दहश्तगर्दी से निमटने के लिए एक मज़बूत और मबसूत फ्रेमवर्क बनाने की ज़रूरत है ताकि दहश्तगर्दी का ख़ातमा होजाए।

अब वक़्त आगया है कि एक जामि(व्यापक) कन्वेंशन इख़तियार किया जाय। अडवानी ने दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ कार्यवाईयों में हिंदूस्तान की हिमायत की तरफ‌ तवज्जु(ध्यान) दिलाई और कहा कि हिंदूस्तान आगे भी इस की तरफ‌ आएगा, ख़ासकर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के दाइरा-ए-कार में रह कर कोशिशें की जाएं तो हम उस की हिमायत करेंगे। इस से आलमी बिरादरी और इलाक़ाई तआवुन को इस्तिहकाम मिलेगा। सारी दुन्या में इस वक़्त दहश्तगर्दी का मसला अहम है। तमाम ममालिक ख़ासकर दहश्तगर्दी से मुतास्सिरा मुल्कों के हालात का जायज़ा लेकर मत्लबबरारी के बगैर दहश्तगर्दी से निमटा जाय तो बेहतर नताइज बरामद होंगे