हैदराबाद 27 फरवरी (सियासत न्यूज़) दहश्तगर्दी का कोई मज़हब और रंग नहीं होता । ये अलफ़ाज़ बार-बार हमारे मुल्क के सियासतदां दुहराते रहते हैं । उन की ज़ुबानों से ये अलफ़ाज़ अच्छे भी नहीं लगते क्यों कि दिल में कुछ और ज़ुबान पर कुछ वाला मुआमला नज़र आता है ।
लेकिन जब अवाम इस तरह के ख़्यालात ज़ाहिर करते हैं तो उसे सिद्क दिल से क़ुबूल करना पड़ता है इस लिए कि दहश्तगर्दों से सिर्फ़ इंसानियत को ही नुक़्सान पहूँचता है ।
दहश्तगर्दी का ख़ातमा उसी वक़्त मुम्किन है जब अवाम मुत्तहदा तौर पर इस के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं । मीडिया के एक मख़सूस गोशे की जानिब से गुमराह कुन रिपोर्ट्स के नशर और शाए किए जाने के बावजूद अवाम को इस बात का यक़ीन है कि दहश्तगर्दों का मज़हब नहीं होता बल्कि वो दरिंदे होते हैं जिन का मक़सद ही तबाही और बर्बादी होता है ।
दिलसुख नगर में जहां बम धमाके हुए करीबी बस स्टॉप्स पर ऐसे पोस्टर्स आवेज़ां किए गए हैं जिस पर दर्ज है दहश्तगर्दों को मुक़द्दमा , सज़ा या जेल नहीं बल्कि बरसरे आम फांसी दी जाए ।
ये इंसानियत के क़ातिल हैं । इन बस स्टॉप्स पर महलूकीन की तसावीर भी आवेज़ां की गईं जहां लोग कुछ देर ख़ामोश ठहर कर उन्हें ख़राज अक़ीदत पेश कर रहे हैं।