दाँत सेहतमंद तो पूरा जिस्म सेहतमंद!

क्या आप के दाँतों में कभी दर्द हुआ है ? क्या आप के मसूड़े कमज़ोर हैं ? क्या आप के मसूड़ों से ख़ून रस्ता है ? क्या आप के दाँत हिल रहे हैं ? ये वो सवालात हैं जो यूनीवर्सिटी आफ़ वाशिंगटन के डेंटल शोबा में ज़ेर तरबियत डॉक्टर्स से पूछे जाते हैं।

वजह ये है कि डेंटिस्ट बनने से पहले ये मालूम करलिया जाता है कि आया ख़ुद डाक्टर दाँतों के आर्सा में मुबतला तो नहीं है, इंसान पेन का दर्द-ए-सर का दर्द यह कोई और दर्द मुश्किल से ही सही , बर्दाश्त कर लेता है लेकिन ख़ुद डॉक्टर्स इस बात की तौसीक़ करते हैं कि दाँतों के दर्द से शदीद कोई दर्द नहीं होता।

दाँतों के दर्द की वजह से इंसान के जिस्म का पूरा निज़ाम मुतास्सिर होजाता है और वो जल्द से जल्द इस दर्द से छुटकारा हासिल करने की कोशिश में लगा रहता है। डाक्टर अब्बास अली नगरी का कहना है कि दाँतों की सफ़ाई का अगर बचपन से ही ख़्याल रखा जाये तो दाँतों का मर्ज़ पैदा ही नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि ख़ुसूसी तौर पर बरश करने के लिए उसे मंजन या पेस्ट का इस्तिमाल किया जाये जिस में लिविंग का सफ़ूफ़ या इसका essence मौजूद हो। लिविंग को दाँतों के लिए अक्सीर क़रार दिया जाता है। साथ ही साथ बच्चों को इस बात का पाबंद बनाएं कि वो चॉकलेट या मीठी एशिया का इस्तिमाल ना करें कि जो अच्छी आदतें बचपन से इख्तियार की जाती हैं, वो ताहयात क़ायम रहती हैं।

कहते हैं कि अगर कोई पहलवान है और इसके दाँत इंतिहाई कमज़ोर हैं तो उसी जिस्मानी सेहत से किया फ़ायदा ? दाँतों की तरफ़ ख़ुसूसी तवज्जो दीजिए कि उनका अगर दाँत सेहत मंद हैं तो समझिए पूरा जिस्म सेहत मंद है।