नई दिल्ली, 20 जून: बारिश थमने के बाद अंदाजा हुआ कि उत्तराखंड में कुदरत ने किस कदर गुस्सा उतारा है तबाही की तस्वीरें और वीडियो देखकर साफ है कि यह सब इतना जल्द हुआ होगा कि हजारों लोगों को बचने का कोई मौका नहीं मिला।
अब तक 22 हजार लोगों को बचाया जा सका है, लेकिन 70 हजार लोग अब भी फंसे हुए हैं। इन लोगों तक मदद पहुंचने का इंतेजार किया जा रहा है।
इम्कान है कि हजारों लोग पानी के साथ ही बह गए और ऐसे ही कई बदनसीब मलबे और पहाड़ के नीचे दबे हैं। ऐसे लोग भी बहुत हैं, जो इस मुसीबत में जान बचाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन अब मौत की तरफ बढ़ रहे हैं।
हुकूमत और इंतेज़ामिया खुद मान रहे है कि तबाही की चपेट में आए कई इलाकों तक अभी कोई राहत नहीं पहुंची है। ऐसे में साफ है कि भूखे-प्यासे मदद का इंतेजार कर रहे हैं और अगर जल्दी कुछ नहीं हुआ, तो उन हजारों की जान भी जान सकती है।
इस बीच Department of Disaster ने हुकूमत को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें 1,000 मौतों के इम्कान जताए गए है। रियासत की 500 सड़कें तबाह हो चुकी हैं।
हुकूमत आंकड़े के मुताबिक उत्तराखंड में अलग-अलग मुकामात पर अब भी 70 हजार लोग फंसे हुए हैं। अगर जल्दी राहत नहीं पहुंची, तो खाने और दवा के इंतेजार में इनमें से कई मर सकते हैं।
देहरादून से खाने के 20 हजार पैकेट लेकर हेलीकॉप्टर रवाना किए गए हैं। गुप्तकाशी और घनसाली के बीच 500 गाड़ियां निकाली गई हैं। आज सवेरे से एयरफोर्स के छोटे-बड़े 35 हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया गया है।
हर्षिल, केदारघाटी, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब से हजारों तीर्थयात्री निकाले जा सकते हैं। केदारघाटी में कहीं लोग टापू पर फंसे हैं, तो कहीं जंगल में। वहां का बाजार गायब हो चुका है।
आज वहां बड़ी मिकदार में खाने के पैकेट गिराए जाने की जरूरत भी है। उत्तरकाशी में गंगा घाटी में जो लोग होटल और ढाबों में पनाह लिए हुए थे, वहां रसद खत्म हो गई, तो लोग गांवों की ओर पहुंचे। लेकिन अब गांवों में भी अनाज खत्म हो रहा है।
एनडीआरएफ की टीम भी केदारनाथ धाम पहुंचने की कोशिश कर रही है। तबाही वाली रात (इतवारकी रात से पीर की सुबह तक) से केदारनाथ घाटी में मौजूद हजारों जिंदगियां कहां सिसक रही हैं, किसी को नहीं मालूम।
यहां की 90 धर्मशालाओं का कोई अता-पता नहीं है। लोग भूखे-प्यासे और बीमारी से मर रहे हैं, लेकिन इनका हालचाल लेने वाला कोई नहीं है।