अक़वामे मुत्तहिदा के तहक़ीक़कारों ने इल्ज़ाम आइद किया है कि शाम में सदर बशारुल असद की वफ़ादार फ़ौज और दहश्तगर्द तंज़ीम दौलते इस्लामी इराक़ और शाम (दाइश) के जंगजू इंसानी हुक़ूक़ की संगीन ख़िलाफ़ वर्ज़ीयों के मुर्तक़िब हो रहे हैं और दोनों जंगी जराइम में मुलव्विस हैं।
आलमी इदारे के मुहक़्क़िक़ीन का कहना है कि शुमाली शाम में दाइश ने अपनी हुकूमत क़ायम कर रखी है जहां नाम निहाद सज़ाओं की आड़ में शहरीयों को सरे आम क़त्ल किया जाता और उन्हें कोड़े मारे जाते हैं।
आलमी इदारे की जानिब से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दाइश के जंगजू हर जुमा को लोगों को पकड़ कर लाते हैं और उन्हें सरे बाज़ार वहशियाना अंदाज़ में क़त्ल किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2011 के बाद से अब तक दाइश के अनासिर हलब, अलर्क़ा और शाम के दूसरे शहरों के हज़ारों बेक़सूर शहरीयों को मौत के घाट उतार चुके हैं। निहत्ते शहरीयों का क़त्ले आम दाइश ने मामूल बना रखा है और अपना ख़ौफ़ बिठाने के लिए लोगों को सरे आम निहायत बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्लोर गैस और इस से तैयार होने वाले हथियार कीमीयाई असलहा में शामिल हैं। यूं शामी फ़ौज बराहे रास्त कीमीयाई हथियारों के इस्तेमाल का सिलसिला जारी रखे हुए है।