दान में दी गई जमीन को बेचने के मामले में सरकार सख्त

सूबे के गरीबों और महादलित खानदानों को हुकूमत की तरफ से देही और शहरी इलाक़े में बसने के लिए दान में जमीन दिए जाने की निजाम पुरानी है, लेकिन हाल में हुकूमत के नोटिस में कई ऐसे मामले लाए गए हैं, जिसमें अलोटमेंट सख्श ने खुद के नाम दान में मिली जमीन को किसी और के नाम ट्रांसफर कर दिया। ऐसे मामलों की जानकारी मिलने के बाद महकमा ने मामले को संगीन मानते हुए नए सिरे से जिला अफसरों के नाम हुक्म जारी किए हैं।

आमदनी और ज़मीन बेहतरी महकमा से मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में अररिया के जिला अफसर ने आमदनी और ज़मीन बेहतरी महकमा के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी को खत लिख जानकारी दी कि हुकूमत की तरफ से दान में दी गई जमीन को कुछ खानदानों की तरफ से दीगर सख्श के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया है। जिला अफसर ने अपने सेशन में सरकार से इस सिलसिले में गाइडलाइन देने की मांग की थी। खत में आमदनी और ज़मीन बेहतरी महकमा के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी व्यास जी ने तमाम जिला अफसरों के नाम एक खत जारी किया है। उन्होंने वाजेह किया है कि वासगीत, ज़मीन डोनेट या फिर बाक़ी ज़मीन बेघर लोगों को हुकूमत की तरफ से मुहैया कराई जाती रही है। अगर दान में मिली उस जमीन को कोई खानदान और सख्श बेचता है या फिर किसी और के नाम करता है, तो ऐसी हालत में मंसूबा का मक़सद ही खत्म हो जाता है। व्यासजी ने साबिक़ में जारी किए गए अपने एक खत का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसे मामलों में हुकूमत का वाजेह हिदायत है कि अगर कोई सख्श या खानदान इस क़िस्म की गलत हरकत करता है तो उससे जमीन वापस लेकर सरकार किसी और को बंदोबस्त करने के लिए आज़ाद होगी। उन्होंने खत में कहा है कि जमाबंदी मंसूख करने की कार्रवाई अपर समाहर्ता सतह पर होगी, जबकि पर्चा मंसूख करने की कार्रवाई समाहर्ता की तरफ से की जाएगी। खत में जिला अफसरों को हिदायत दिया गया है कि मुस्तकबिल में जिस भी जमीन की बंदोबस्ती की जाए तो उसके सर्टिफिकेट में वाजेह तौर पर इस बात का ज़िक्र किया जाए कि मुतल्लिक़ जमीन को बेचने या फिर उसकी बंदोबस्ती का अफसर सिवाय हुकूमत के और किसी को नहीं होगा।