दीनी मदर्सा दार-उल-उलूम देवबंद के एक आला सतही वफ़द ( प्रतिनीधी मंडल) ने आज वज़ीर ए आज़म (प्रधान मंत्री) मनमोहन सिंह से मुलाक़ात करके मुतालिबा किया कि दहशतगर्दी के मुक़द्दमात की समाअत ( सुनवाई) तीज़गाम अदालत में की जाए ताकि इस बात को यक़ीनी बनाया जा सके कि बेक़सूर तवील मुद्दत ( लंबे समय तक) तक क़ैद में ना रखे जा सकें और उन्हें तेज़ रफ़्तार इन्साफ़ रसानी मुम्किन हो।
दार-उल-उलूम देवबंद के अमीर जामिआ अब्दुल कासिम नुमानी की ज़ेर-ए-क़ियादत वफ़द ( प्रतिनीधी मंडल) ने वज़ीर ए आज़म को एक याददाश्त पेश की, जिस में बाअज़ ( कुछ) अहम (मुख्य) मुतालिबात जैसे मर्कज़ी मदर्सा बोर्ड की तजवीज़ (इंतेज़ाम) मंसूख़ ( रद्द्) करने और मुस्लिम मसाजिद ( मस्जिदें) और तालीमी-ओ-मज़हबी इदारों ( सस्थानो) को रास्त मुहासिल क़ानून से इस्तिस्ना (अलग कर देने)देने के इलावा दीगर मसाइल (अन्य/दूसरे समस्यांए) स उजागर किए गए थे।
नुमाइंदों ने तशवीश(सोंच/चिंता)ज़ाहिर की कि एक ख़ास बिरादरी को तक़रीबन हमेशा निशाना बनाया जा रहा है। मुल्क में जब भी दहशतगर्द हमले होते हैं उन के बाद तहक़ीक़ाती महकमे अपने फ़राइज़ ( कर्तव्य से) अच्छी तरह अदा करने से क़ासिर (दूर) रहते हैं और मुल्क के मुख़्तलिफ़ ( अलग अलग/कुछ) हिस्सों से कसीर तादाद (ज़्यादा संख्या) में ख़ास तब्क़ा के अफ़राद (लोग)गिरफ़्तार किए जाते हैं।