मरकज़ में मोदी हुकूमत के आने के बाद मंडियों में कुछ में राहत मिली है तो कुछ के दाम जस के तस बने हुए हैं। कुछ में उबाल भी आया है। आटा, चावल, चीनी और सर्फ की कीमतों में राहत मिली है। गेहूं, साबुन, सोयाबीन रिफाइंड, डालडा, नमक, लाल मिर्च व काली मिर्च के दाम जस के तस बने हैं। हालांकि, इस राहत पर दाल और तेलों में आया उबाल भारी दिखाई दे रहा है। टूथ पेस्ट, पाउडर दूध, चायपत्ती जैसे रोजमर्रा के पैदावारों की कीमतों में भी इजाफा हुई है। जाहिर है कुछ जिंसों में आई नरमी के बावजूद आम आदमी की जेब हल्की ही हुई है।
नहीं दिखा अच्छे दिनों का असर
राजेन्द्र नगर की सुषमा देवी का कहना है कि महीने का राशन-पानी लेने में कोई राहत दिखाई नहीं दे रही है। साल भर पहले भी चार हजार रुपये के लगभग लगता था, अब भी करीब-करीब उतना ही लग रहा है। जब से दाल और तेलों के भाव बढ़े हैं, कुछ ज़्यादा ही लग जा रहा है। पुनाईचक की नम्रता का कहना था कि कीमत में कहीं-कहीं मामूली राहत मिली है, लेकिन उसके मुक़ाबले दीगर जिंसों में उछाल ज्यादा दिखाई दे रहा है। ऐसे में राहत कैसे मिलेगी?
राहत कम, आफत ज्यादा
आटा में दो रुपये, चावल में चार से छह रुपये, चीनी में पांच रुपये किलो की राहत मिली है। अब अगर तेजी को देखें तो अकेले अरहर की दाल एक साल में 38 रुपये किलो महंगी हो गई है। चना दाल में भी 17 रुपये फी किलो का उछाल आया है। दीगर दालों की भी यही हालत है। सरसों तेल 15 रुपये फी किलो महंगा हुआ है। हकीकत यही है कि दाल और तेल अच्छे दिनों की हवा निकाल दी है। क्रीम, पाउडर की कीमत करीब 10 फीसद बढ़ी है। ठंडा तेल, नारियल तेल भी 10 फीसद महंगा हुआ है।
आगे तेजी की उम्मीद नहीं
बिहार रियासत खुदरा विक्रेता महासंघ के जेनरल सेक्रेटरी रमेश तलरेजा ने कहा कि कुछ जिंसों में राहत मिली है। कुछ में तेजी भी आई है। अगर दाल और तेल में उबाल नहीं आता तो सचमुच अच्छे दिन आ जाते। राहत की बात यह कि अब आगे तेजी की उम्मीद नहीं या कम दिखाई दे रही है।