रामपुर। उर्दू अदब के तहजीब की एक पुरानी कला दास्तानगोई को बचाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू हुआ है। दिल्ली के दास्तानगो साहिल आगा देहलवी ने इसका बीड़ा उठाया है।
ऐसे समय में जब कि उर्दू के साथ भेदभाव होना चरम पर है इसको ख़ास समुदाय की ज़ुबान बता कर ऐसे अमूल्य विरासत को गंवा देने की साजिश हो रही है, ऐसे में साहिल आगा का यह क़दम सराहनीय है.
साहिल जल्द उत्तर प्रदेश के रामपुर मुरादाबाद सहित कई ज़िलों में वर्कशॉप करेंगे। कहा जाता है कि रामपुर से दस्तानगोई का एक ख़ास ताल्लुक रहा है। नवाब कल्बे अली ने उस समय दास्तानगोई को पनाह दी थी जब दास्तानगो अंग्रेज़ो द्वारा कत्ल किये जा रहे थे। आज दस्तानगोई का हुनर खत्म होने की कगार पर है।
ऐसे में देश के जाने माने दास्तानगो साहिल आगा देहलवी ने इसके लिए एक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। उसके मद्देनजर जल्द ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में वर्कशॉप करेंगे ।
आपको बतादे दें कि साहिल आगा ने दिल्ली गुजरात ओर यूपी के कई इलाको में दास्तानगोई के कई प्रोग्राम किए हैं और उनके कथन में एक अलग तरह की कशिश है, जिसे सुनकर लोग उनसे काफी प्रभावित होते हैं। कई बार तो लोगों की आँखें भी भर आती हैं.