नई दिल्ली: “कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता”
बशीर बद्र का ये शे’र अक्सर सियासी बातचीत में इस्तेमाल किया जा सकता है, इसी शे’र के मा’नी आजकल सत्ताधारी बीजेपी के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. एक ओर जहाँ बीजेपी अफ़ज़ल गुरु के साथ हमदर्दी रखने वालों को देशद्रोही कहती नहीं थकती तो दूसरी ओर उसे पीडीपी के साथ गठबंधन करने में कोई गुरेज़ नहीं फिर चाहे पीडीपी अफ़ज़ल गुरु के साथ खुले तौर पर हमदर्दी रखने वाली एकमात्र पार्टी हो. बीजेपी के इस दोगले पन पर अक्सर लोग अपनी बात रखते हैं, एक बार फिर इसी मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और आरएसएस पर कटाक्ष करते हुए कहा “मैं आरएसएस के अध्यक्ष मोहन भागवत से पूछता हूँ ना कि प्रधानमन्त्री मोदी से, पीडीपी ने तो खुले तौर पर अफ़ज़ल गुरु की फाँसी का विरोध किया था?”
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी-आरएसएस को ‘भारत माता की जय’ के मुद्दे पर भी घेरते हुए कहा कि बीजेपी-आरएसएस का स्वतंत्रता संग्राम में कोई रोल तो रहा नहीं है, तो ये सब क्यूँ हो रहा है.
अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी ने वहाँ चुनाव क्यूँ नहीं कराये?