दिमाग़ी बुख़ार के तदारुक के लिए शऊर बेदारी मुहिम

हैदराबाद (सियासत न्यूज़) देश और राज्य‌ के अवाम को दिमाग़ी बुख़ार के ख़तरात ‍ओ‍ इस बीमारी के तदारुक के लिए एहतियाती तदाबीर से वाक़िफ़ कराने के लिए हर साल 24 अप्रैल को आलमी यौम दिमाग़ी बुख़ार (World Meningitis Day) मनाया जाता है। लिहाज़ा इंडियन एकेड्मी आफ़ पीडियाट्रिक्स आंधरा प्रदेश स्टेट चिया पटर 2012 के ज़ेर-ए-एहतिमाम आज रियासत भर में भी आलमी यौम दिमाग़ी बुख़ार मुनज़्ज़म किया गया।

हर जगह दिमाग़ी बुख़ार के ख़तरात से अवाम को वाक़िफ़ करवाते हुए बेदारी मुहिम चलाई गई। दिमाग़ी बुख़ार जिस को गर्दन तोड़ बुख़ार भी कहा जाता है इस वबा के इंसिदाद के लिए जद्द-ओ-जहद करने वाली मनीनजाइटीस तंज़ीमों के आलमी विफ़ाक़ ने साल 2009 में 24 अप्रैल को आलमी यौम दिमाग़ी बुख़ार मनाने का फ़ैसला किया था। जिस का मक़सद इस वबा के ख़तरात से अवाम को बाख़बर करना, इस के तदारुक के लिए शऊर बेदार करना और माहिरीन तब्कें को मुत्तहिद-ओ-मुतहर्रिक करना है।

दरहक़ीक़त दिमाग़ी बुख़ार , निमोनिया, हैज़ा और एसी ही मुतअद्दिद वबाओं के सबब हिंदूस्तान और दीगर बैरूनी ममालिक (अक़्ता आलम) में लाखों बच्चे लुक्मा-ए-अजल होजाते हैं। चुनांचे हिंदूस्तानी एकेड्मी बराए अत्फ़ाल (आई ए पी) ने छोटे बच्चों को ज़द में लेने वाली एसी मुतअद्दिद वबाओं से बचाने और उन के बारे में शऊर बेदार करने के लिए गुज़श्ता कई साल से मुहिम चला रही है।

एन्टी बायोटेक (मनफ़ी हयातयाती) अदवियात के मुनासिब इस्तिमाल के बावजूद जरासीमी और वबाई गर्दन तोड़ बुख़ार के सबब हिंदूस्तान में होने वाली हलाकतों का औसत निसबतन बहुत ज़्यादा यानी (16-32) फ़ीसद है और एन्टीबायोटेक अदवियात से जरासीम की मुज़ाहमत दरअसल टीका अंदाज़ी के ज़रीया इस वबा पर क़ाबू पाने की ज़रूरत में इज़ाफ़ा कर रही है।

आज यहां अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए डाक्टर पी वेंकटेश्वर राउ मुम्ताज़ माहिर अम्राज़ अत्फ़ाल-ओ-सदर इंडियन एकेड्मी आफ़ पीडियाट्रिक्स ए पी स्टेट चियाप्टर प्रोफेसर डाक्टर बी सुदर्शन रेड्डी साबिक़ प्रोफेसर उस्मानिया मेडीकल-ओ-साबिक़ सदर‌ नीलोफ़र हॉस्पिटल हैदराबाद और डाक्टर एस संजय मुम्ताज़ माहिर अम्राज़ अत्फ़ाल ने ये बात बताई और कहा कि दिमाग़ी बुख़ार की हालत में बच्चों को शदीद बुख़ार की वजह से दौरे भी पड़ते हैं और बाज़ औक़ात इस हालत की वजह से बच्चे कोमा में चले जाते हैं।