हैदराबाद 29 मार्च : अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन दूसरों के लिए जीना इंसानियत की ख़िदमत करना और बम धमाकों में ज़ख्मों से चीखते चिल्लाते और तड़पते इंसानों को मौत के मुँह से निकाल कर ज़िंदगी की राह पर गामज़न करने की कोशिश करना बहुत मुश्किल और सब्र आज़मा काम है और ये मुक़द्दस काम वही लोग करते हैं जिन के दिल तड़पती इंसानियत की तकलीफ़ पर तड़प उठते हैं ।
ज़ख्मों से चूर मर्द और ख़वातीन और बच्चों की आहों पर उन की आँखों से आँसू रवां हो जाते हैं । कोई परेशान हाल मदद के लिए पुकारता है तो वो फ़ौरी उस की दाद रसाई और मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं । उसे लोगों को किसी इनाम की परवाह होती है और ना ही सताइश की तमन्ना वो तो बस अपने रब को राज़ी करने के लिए ख़िदमत ख़ल्क कर जाते हैं ।
ऐसे ही पाक जज़बा रखने वाले लोगों में आर टी सी दिलसुख नगर डिपो से वाबस्ता ड्राईवर जनाब शेख जानी पाशा हैं जिन्हों ने 21 फरवरी 2013 की शाम दिलसुख नगर में पेश आए बम धमाकों के ज़ख़्मियों की ज़िन्दगियों को बचाने में नाक़ाबिले फ़रामोश रोल अदा किया है। इस मुस्लिम ड्राईवर ने बिला लिहाज़ मज़हब और मिल्लत रंग और नस्ल और ज़ात – पात ज़ख़्मियों को अपने हाथों में उठाए बसों में मुंतक़िल किया ।
साथ ही अफ़रा-तफ़री के आलम में जब कि लोग इधर उधर भाग रहे थे आगे बढ़ कर पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों की भी भरपूर मदद की । जनाब शेख जानी पाशा E-209585 ड्राईवर दिलसुख नगर बस डिपो की इंसानी हमदर्दी बुलंद हौसला , क़ानून की मदद से मुताल्लिक़ जज़बा और एक ज़िम्मेदार शहरी के नाते बम धमाकों के ज़ख़्मियों की मदद और क़ानून नाफ़िज़ करने वाली एजेंसियों से तआवुन पर सारा महकमा आर टी सी बहुत फ़ख़र कर रहा है ।
दिलसुख नगर बम धमाकों के बाद ज़ख़्मियों की बरवक़्त मदद करने और उन्हें बसों में डाल कर मुख़्तलिफ़ हॉस्पिटलों में मुंतक़िल करने वाले शेख जानी पाशा को महकमा आर टी सी ने 25 हज़ार रुपये नक़द इनाम अता किया और सताइशी मकतूब भी दिया गया।
1998 बैच के इस बहादुर आर टी सी ड्राईवर ने मज़ीद बताया कि दूसरे धमाका के साथ बर्क़ी पोल्स और बर्क़ी तारें भी अपनी जगह से हिल गए और बर्क़ी खंबों में बर्क़ीरु दौड़ पड़ी । इस धमाका के बाद उन्हों ने हर तरफ़ ज़ख़्मियों को तड़पते हुए देखा जब कि बाअज़ मुक़ामात पर नाशें भी बिखरी हुई थीं ।
उन्हों ने सब से पहले ए सी पी सिद्दीक़ी को फिर अपने डिपो मैनेजर चिरंजीवी , इन्सपेक्टर पुलिस मलकपेट सत्य नारायना को उस की इत्तिला दी । साथ ही एम्बुलेंस में ज़ख़्मियों को मुंतक़िल करने में मुश्किलात को देखते हुए दिलसुख नगर डिपो की तीन बसों में अपने हाथों से ज़ख़्मियों को डालते हुए हॉस्पिटल मुंतक़िल किए।