दिलसुख नगर बम धमाके: शहीद नवजवानों, मुहम्मद रफीक और एजाज़ अहमद की तदफ़ीन

हैदराबाद 23 फरवरी : दिलसुख नगर बम धमाके में शहीद मुहम्मद रफीक साकिन हाफ़िज़ बाबा नगर सी बलॉक और एजाज़ अहमद साकिन आज़ाद नगर अंबरपेट को बाद नमाज़ जुमा हज़ारों सोगवारों की मौजूदगी में सपुर्द लहद कर दिया गया । इस मौक़ा पर इंतिहाई जज़बाती मनाज़िर देखे गए ।

हर किसी की आँखों से आँसू रवां थे जुमेरात को 7 बजे शाम के बाद दिलसुख नगर कोणार्क थिएटर के करीब और एक बस स्टैंड पर बम धमाकों के फ़ौरी बाद सारे शहर में गुमो अंदोह की लहर दौड़ गई थी ।

टी वी पर ख़बर सुनते ही 22 साला नवजवान मुहम्मद रफीक के वालिद ने अपने नूर नज़र को फ़ोन किया लेकिन उन्हें कोई जवाब ना मिल सका और रफीक जवाब देता भी कैसे क्यों कि वो धमाका में शहीद हो चुका था ।

जब वो घर से निकला तब उस के वहम और गुमान में भी नहीं आया होगा कि वो अपने वालिद अमीर उद्दीन माँ भाईयों और एक बहन से आख़िरी मर्तबा मिल रहा है ।

मुहम्मद रफीक के वालिद ने राक़िमुल हुरूफ़ को बताया कि वो अमराज़ कल्ब में मुबतला रहने के बाइस कोई काम काज नहीं करते घर पर आराम करते हैं जब कि मुहम्मद रफीक ने जो इंटर मेडीएट तक तालीम हासिल किया था दिलसुख नगर में लेदर शाप में काम करता था ।

वो सुबह जाता और शाम घर वापिस हो जाता लेकिन जुमेरात को घर से ऐसा रवाना हुआ कि उस की नाश ही वापिस आई । एजाज़ अहमद के गैर मुस्लिम साथी तलबा अपने महलूक दोस्त की नमाज़ जनाज़ा के मौक़ा पर बहुत ही एहतेराम के साथ ख़ामोश ठहरे रहे ।

उन की ख़ामोशी और नमाज़ जनाज़ा के मौक़ा पर एहतेराम से ऐसा लग रहा था जैसे वो इंसानियत के दुश्मन दहश्तगर्दों को ये पयाम दे रहे हों कि ख़ुदारा ऐसी शैतानी हरकतों से बाज़ आ जाओ । आज तुम्हारी इन हरकतों के बाइस ही मासूम बच्चे माँ की ममता से महरूम हो गए हैं ।

कई माँओं की गोद उजड़ गई हैं । ज़ईफ़ बापों को अपने नवजवान बेटों के जनाज़ों को कांधा देने के सब्रआज़मा लम्हे से गुज़रना पड़ा है । भाई और बहन अपने भाईयों की मुस्कुराहट देखने का मौक़ा हमेशा हमेशा के लिए गंवा दिया है।

नमाज़ जनाज़ा के मौक़ा पर मौजूद एजाज़ अहमद के दोस्त नवीन ने बताया कि वो और एजाज़ कॉलेज से वापसी के लिए एक साथ बस में सवार हुए वो एल बी नगर पर उतर गया जब कि एजाज़ को दिलसुख नगर बस स्टप पर उतर कर अंबरपेट के लिए दूसरी बस में सवार होना था ।

इस तरह जुमेरात के दिन एजाज़ से वो आख़िरी मुलाक़ात रही एक और दोस्त अशोक कुमार ने बताया कि एजाज़ अहमद इस क़दर शरीफ़ और संजीदा तबीयत का मालिक था कि वो कभी बस में फ़ुट बोर्डिंग तक नहीं करता था ।

कॉलेज के लेकचरर मुरलीधर गुप्ता ने बताया कि उन का कॉलेज एक अच्छे तालिबे इल्म से महरूम हो गया।