दिलीप कुमार 90 वीं सालगिरा नहीं मनाएंगे

शहरा आफ़ाक़ अदाकार दिलीप कुमार पिछ्ले साल की तरह इस साल अपनी 90 वीं सालगिरह नहीं मनाएंगे । वो सादगी से अपने अहल ख़ानदान के साथ इस रोज़ ख़ुदा का शुक्र बजा लाते हुए दिन गुज़ारेंगे ।

उन्हों ने अपनी सेहत से मुताल्लिक़ अफ़्वाहों की तरदीद की और कहा कि अल्लाह के फ़ज़ल-ओ-करम से वो चाक़-ओ-चौबंद हैं । दिलीप कुमार ने 90 वीं सालगिरह को धूम से मनाने से मुताल्लिक़ पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि पिछ्ले साल मेरे दोस्तों ने सालगिरह तक़रीब का शानदार एहतेमाम करते हुए हैरत में डाल दिया था ।

ये शाम नाक़ाबिल फ़रामोश थी और इस का ख़ुसूसी एहतेमाम अहलिया साएरा और उन की भतीजी शाहीन ने किया था । जहां तक मेरी सेहत का सवाल है अल्लाह ताअला के फ़ज़ल-ओ-करम से में तंदरुस्त हूँ । हाँ कभी कभी सर्दी ज़ुकाम और बुख़ार होता है ।

में रोज़ाना जॉगर्स पार्क जाकर चहलक़दमी करने की कोशिश करता हूँ । अपने तौर पर 4 या 5 चक्कर लगाता हूँ । रातों में अपनी ख़ूबसूरत बीवी के हाथ थामे मुंबई की कुशादा सड़कों पुर सुकून के आलम में गशत लगाते हुए लुतफ़ अंदोज़ होता हूँ ।

बांद्रा और इस से मुत्तसिल इलाक़ों में रात में ट्रैफ़िक ना होने से एक ख़ामोशी छाजाती है । और इस ख़ामोशी का फ़ायदा उठाते हुए वो सड़क पर निकल पड़ते हैं । हर रोज़ में अपने बंगले के बाग़ीचे में बैठ कर नाशतादान करता हूँ ।

तूलू आफ़ताब के साथ जिस्म को लम्स करती हुई नरम किरणों से महज़ूज़ होता हूँ । जब ये सूरज की शुवाएं गर्मगर्म चाय की प्याली से टकराती हैं तो सुबह की ताज़गी का एहसास दिलाती हैं और रूह को राहत भी मिलती है ।

इस के साथ आमलेट की लज़्ज़त दोबाला होजाती है । बिलाशुबा मुंबई जैसे ग़नजान शहर में मेरे लिए एक अरम्दा कुशादा बाग़ीचे की ठंडी हवा के साथ सरसब्ज़-ओ-शादाब का माहौल मुझे ताय्युश की ज़िंदगी बख्शते हुए क़ुदरत के बेशुमार एहसानात की याद दिलाता है ।

हम साएरा बानु की वालिदा नसीम जी के ममनून हैं कि उन्हों ने इस वसी तर बाग़ीचे को सजाया था । जब 60 के दहे में उन्हों ने इस बंगला की तज़ईन नौ की थी । दिलीप कुमार ने कहा कि इस साल में अपनी सालगिरह क़रीबी रिश्तेदारों के साथ मनाव‌गा ।

मुझ से मिलने के लिए हर रोज़ पुराने साथी आते रहते हैं । फ़िल्मी सनअत का हर छोटा बड़ा आदमी मेरी इज़्ज़त करता है । जब मुझ से मेरे पुराने साथी मुलाक़ात के लिए आते हैं तो ये लमहात मेरे दिल को तसकीन पहूँचाते हैं ।

पिछ्ले हफ़्ते ही अमिताभ बचन ने मुझ से मुलाक़ात की । धर्मेन्द्र भी आए थे उन के साथ प्राण के घर गए जहां ख़ूबसूरत शाम गुज़ारी और पुरानी यादों को ज़िंदा किया गया ।

विजयंती माला भी मिलती हैं उन से साएरा बानु की अच्छी दोस्ती है । कमल हासन ने भी हाल ही में मुलाक़ात की थी ।