हालाँकि बी जे पी और कांग्रेस दोनों ने लोक सभा और रियासती एसेंबलियों में ख़ातून उम्मीदवारों के लिए 33 फ़ीसद नशिस्तों के तहफ़्फ़ुज़ की ताईद ज़रूर की होगी लेकिन जब बात 4 दिसम्बर को दिल्ली में होने वाले एसेंबली इंतिख़ाबात की आती है तो क़ौल-ओ-फे़अल में फर्क नज़र आता है क्योंकि इंतिख़ाबात के लिए दोनों ही पार्टियों ने ख्वातीन के लिए कोई फ़राख़दिली का मुज़ाहरा नहीं किया जिस का नतीजा ये है कि सिर्फ़ 11 खवातीन इंतिख़ाबी मैदान में हैं।
बी जे पी और कांग्रेस से बेहतर मौक़िफ़ में आम आदमी पार्टी है जिसने एक दो नहीं बल्कि 6 खवातीन को टिकट दिए हैं जबकि दिल्ली में एक ख़ातून वज़ीर-ए-आला गुजिश्ता 15 साल से बरसर-ए-इक़तिदार हैं लेकिन हैरतअंगेज़ तौर पर कांग्रेस ने सिर्फ़ 6 खवातीन को ही टिकट दिए हैं जो तमाम उम्मीदवारों के औसत का सिर्फ़ 8.5 फ़ीसद है जबकि बी जे पी ने पाँच ख़ातून उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं जिस का तनासुब 7.5 फ़ीसद है।
अगर दिल्ली की ख़ातून वोटर्स की तादाद को मद्द-ए-नज़र रखा जाये तो तीनों ही पार्टियों ने किसी फ़राख़दिली का मुज़ाहरा नहीं किया और ख़ातून उम्मीदवारों की तादाद दिल्ली की खवातीन की आबादी से तज़ाद रखती है। राय दहिंदों की फ़हरिस्त के बी जे पी और कांग्रेस से बेहतर मौक़िफ़ में आम आदमी पार्टी है जिस ने एक दो नहीं बल्कि 6 ख्वातीन को टिकट दिए हैं जबकि दिल्ली में एक ख़ातून वज़ीर-ए-आला गुजिश्ता 15 साल से बरसर-ए-इक़तिदार हैं लेकिन हैरतअंगेज़ तौर पर कांग्रेस ने सिर्फ़ 6 ख्वातीन को ही टिकट दिए हैं।