सुप्रीम कोर्ट ने आज जो विनायल जस्टिस बोर्ड (JJB) को गुजिश्ता साल 16 दिसम्बर को दिल्ली इजतिमाई इस्मत रेजी मुआमले में मुलव्वस एक कमसिन मुल्ज़िम के ख़िलाफ़ अपना फ़ैसला सुनाने की इजाज़त दी।
फ़ाज़िल अदालत ने हालाँकि लफ़्ज़ जो विनायल की मज़ीद तशरीह के लिए एक दरख़ास्त का दाखिल किया है क्योंकि किसी भी 16 साला लड़के की जेहनी और जिस्मानी नशव-ओ-नुमा से ये अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि वो नाबालिग़ है और इसके लिए 18 साल की उम्र तैय करना ज़रूरी नहीं।
ये अलग बात है कि हिंदुस्तान में 16 साल के बच्चे हनूज़ नाबालिग़ कहलाते हैं जबकि मग़रिबी ममालिक में जहां शादी से क़बल जिन्सी इख़तिलात आम बात है वहां 13 साल की लड़कियां माँ बन जाती हैं और 16 साल के लड़के बाप बन जाते हैं। चीफ़ जस्टिस पी, स्थासीवम ने साबिक़ एम पी सुब्रामणियम स्वामी की दाख़िल करदा दरख़ास्त पर समाअत के लिए आमादगी का इज़हार किया है।
उन्होंने जो विनायल इस्तिलाह की मज़ीद तशरीह किए जाने की ख़ाहिश की है लेकिन साथ ही साथ जे जे बी को भी ये इख़तियार दिया है कि वो अपने फ़ैसले को क़तईयत दे सकती है हालाँकि पहले से अदालत ने जे जे बी को हिदायत की थी कि मज़कूरा केस में मुलव्वस जो विनायल से मुताल्लिक़ कोई फ़ैसला ना किया जाय, जो इन छः मुल्ज़िमीन में शामिल था जिन्हों ने चलती बस में 23 साला ख़ातून की इस्मत रेज़ि की थी।
मुतास्सिरा ख़ातून का 29 दिसंबर को सिंगापुर में ईलाज के दौरान इंतिक़ाल होगया था। 19 अगस्त को जे जे बी ने मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोविल की क़ियादत में इस मुआमला पर अपना फ़ैसला 31 अगस्त तक चौथी बार ये कह कर मुल्तवी किया था कि इस सिलसिले में मफ़ाद-ए-आम्मा की एक दरख़ास्त सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल की गई है।