दिल्ली इस्मतरेज़ि: सेंसर बोर्ड को भी सख़्त होने की ज़रूरत : कामिनी कौशल

मुंबई, 09 जनवरी ( एजेंसी) हम जिस ज़माने में फिल्मों में काम किया करते थे उस वक़्त ख़वातीन का फिल्मों में काम करना मायूब समझा जाता था लेकिन इसके बावजूद फ़िल्मी दुनिया का माहौल इंतिहाई साफ़ सुथरा था लेकिन आज जब फ़िल्मी दुनिया में लड़कीयों के दाख़िले पर कोई पाबंदी नहीं है और नई लड़कीयां ( कभी कभी अपने वालदैन की मर्ज़ी के ख़िलाफ़) हर रोज़ बालीवुड में दाख़िल हो रही हैं वहीं इस्मतरेज़ि के वाक़ियात में भी इज़ाफ़ा होता जा रहा है ।

हमारे ज़माने में (50 की दहाई) इस्मतरेज़ि का कोई वाक़िया अव्वल तो रौनुमा होता ही नहीं था और अगर कोई वाक़िया पेश भी आ जाए तो उसकी तशहीर नहीं की जाती थी। आज प्रिंट मीडीया के इलावा इलेक्ट्रानिक मीडीया और टेक्नोलाजी ने ऐसी तरक़्क़ी कर ली है कि यहां रेप हुआ और वहां आप को ख़बर हुई ।

ये अलफ़ाज़ थे माज़ी की मशहूर-ओ-मारूफ़ अदाकारा कामिनी कौशल के जिन्होंने दिल्ली इस्मत रेज़ि वाक़िया पर इज़हार रंज करते हुए ये बात कही । दिलीप कुमार के साथ कई कामयाब फिल्मों के बाद कैरेक्टर अदाकारा के तौर पर अपनी शनाख़्त बनाने वाली अदाकारा ने कहा कि आज फिल्मों के इलावा टी वी सिरीयल्स भी फ़ह्हाशी की वकालत करते नज़र आ रहे हैं ।

कोई फ़िल्म बगै़र आइटम सांग के मुकम्मल तसव्वुर नहीं की जाती । कामिनी कौशल ने कहा कि इस्मतरेज़ि क़ानून को सख़्त करने के इलावा सेंसर बोर्ड को भी अब सख़्त रवैय्या अपनाना होगा । सिर्फ़ सिगरेट नोशी पर पाबंदी से कुछ नहीं होगा बल्कि फिल्मों में भी अब इस्मतरेज़ि के मुनाज़िर की हौसला अफ़्ज़ाई नहीं करनी चाहीए ।