दिल्ली की शहरी विरासत के अनमोल भाग को नष्ट किया गया

प्रगति मैदान में ‘द हॉल ऑफ़ नेशंस’ और ‘द हॉल ऑफ़ इंडस्ट्रीज़’ को तोड़ दिया गया। सरकार ने पहली बार नवंबर 2015 में पूरे प्रगति मैदान परिसर को फिर से बनाने की योजना की घोषणा की थी और कहा था की इसे “राज्य के अत्याधुनिक” प्रदर्शनी मैदान मे बदल दिया जायेगा । इस प्रक्रिया का पहला चरण सभी गैर-वातानुकूलित इमारतों का विध्वंस था।

‘द हॉल ऑफ़ नेशंस’ और ‘द हॉल ऑफ़ इंडस्ट्रीज़’ का डिज़ाइन आर्किटेक्ट ‘राज रेवल’ और इंजीनियर ‘महेंद्र राज’ ने 1972 में किया था। जब से यह योजना पूरी दुनिया में सार्वजनिक हुई है तब से दुनिया भर के स्थापत्य संघों और संग्रहालयों ने जिसमे पेरिस का ‘केंद्र पोम्पिडु’ और न्यूयोर्क का ‘म्यूजियम ऑफ़ मॉडर्न आर्ट’ भी शामिल है , उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ‘निर्मला सीतारामन’ को लिखा है की इन इमारतों को वास्तुशिल्प महत्व के कारण संरक्षित रखा जाए।

‘इन्टक’ ने ‘आधुनिक विरासत’ स्थलों की अपनी उनकी सूची में इन भवनों को शामिल किया था जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार की विरासत समिति ने इस वर्ष फरवरी में निर्देश जारी किया की आधुनिक विरासत स्थलों को कम से कम 60 वर्ष पुराना होना चाहिए (जबकि इन भवनों को
1972 में बनाया गया था – 60 साल पुरे होने में 15 साल कम)

‘रेवल’ ने अन्य लोगों के साथ, दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने इन इमारतों के विध्वंस पर ठहराव की मांग की थी।

हलाकि.  हेरिटेज कमेटी द्वारा विचार-विमर्श के दौरान आदेश पर रोक थी, लेकिन समिति के ‘आधुनिक विरासत’ की अपनी परिभाषा प्रस्तुत करने के बाद विध्वंस पर रोक को उठा दिया गया। पिछले सप्ताह 20 अप्रैल को अदालत ने विध्वंस के खिलाफ ‘रेवल’  की याचिका को खारिज कर दिया था।

 

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