दिल्ली गैंगरेप: गुनाहगारों को अपील के लिए मिला एक हफ्ता

दिल्ली गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाए चारों गुनाहगारों को दिल्ली हाई कोर्ट में मंगल की सुबह पेश किया गया। हाई कोर्ट की जस्टिस रेवा खेत्रपाल व जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच के सामने गुनाहगारों ने कहा कि वे एक हफ्ते में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी अपील कोर्ट में दायर करेंगे। जिसे सुनने के बाद अदालत ने कहा कि तब तक के लिए अदालत खातियों की फांसी की सजा की तस्दीक की कार्यवायी पर इश्तेगासा का मौकिफ सुनेगी।

हाई कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई निचली अदालत की ही तरह रोज़ाना की जाएगी। हाई कोर्ट में चारों मुल्ज़िमो को देखने के लिए बहुत से वकीलों, अदालत के मुलाज़िमो और दूसरे लोगों की भीड़ जमा थी। जिसकी वजह से कोर्टरूम खचाखच भरा हुआ था। जब मुल्ज़िमो को पेश किया गया, उस वक्त कुछ ख्वातीन ने चिल्लाना शुरू कर दिया और कहा कि उनको मुल्ज़िमो को पीटने की इज़ाज़त दी जाए।

जिसकी वजह से पुलिस ने इन ख्वातीन व मौजूद दूसरों को कोर्टरूम में जाने से रोक दिया। मामले की सुनवाई के दौरान मुल्ज़िम मुकेश के वकील वीके आनंद ने दलील दी कि वह 30 दिन के अंदर अपील दायर करेंगे। ऐसे में सजा की तस्दीक के मामले की सुनवाई उनकी अपील के साथ की जानी चाहिए। यही मांग मुल्ज़िम पवन के वकील विवेक और दिगर दो मुल्ज़िमो के वकील एपी सिंह ने भी की और कहा कि कम से कम उनको एक हफ्ते का वक्त दिया जाए।

हालांकि बेंच ने कहा कि सजा की दस्दीक की अपील का तब तक निपटारा नहीं किया जाएगा, जब तक Defendants सजा के खिलाफ अपील दायर नहीं करता है। बेंच को सजा की तस्दीक पर सुनवाई करने से नहीं रोका जा सकता है। उनको बताया गया है कि चार बैग में मामले के कागजात भरे हैं। ऐसे में रियासत की हुकूमत बुध से अपील दलीलें शुरू कर सकती है।

वाजेह है कि 16 दिसंबर 2012 की रात एक चार्टर्ड बस में फिजियोथेरेपिस्ट तालिबा से चलती बस में गैंगरेप किया गया था।तालिबा व उसके दोस्त को अधमरा कर छह मुल्ज़िमो ने महिपालपुर फ्लाईओवर के पास चलती बस से फेंक दिया था। सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसंबर को मुतास्सिरा ने इल्ज़ाम के दौरान दम तोड़ दिया था। पुलिस ने इस मामले में बस ड्राइवर राम सिंह, उसके भाई मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। मामले में मुल्ज़िम राम सिंह की 11 मार्च को तिहाड़ जेल में मुश्तबा हालात में मौत हो गई थी।

नाबालिग को Child Protection Act के मुताबिक इस मामले में 31 अगस्त को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। बाकी चार मुल्ज़िमो को साकेत कोर्ट ने 13 सितंबर को फांसी की सजा सुनाई थी।

बशुक्रिया: जागरण