नई दिल्ली, 29 जनवरी: दिल्ली गैंगरेप का सबसे खूंखार मुल्ज़िम सस्ते में छूट जाएगा, क्योंकि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) ने उसे नाबालिग मान लिया है और अब उसे ज्यादा से ज्यादा तीन साल की सजा हो सकती है। यह मुद्दत भी उसे जेल में नहीं, बल्कि बाल सुधार गृह और स्पेशल होम में काटने होंगे।
बोर्ड ने यह फैसला मुल्ज़िम के स्कूल सर्टिफिकेट की बुनीयाद पर लिया है। साथ ही बोर्ड ने दिल्ली पुलिस की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें मुल्ज़िम की सही उम्र का पता लगाने के लिए बोन टेस्ट कराने की मांग की गई थी। बोर्ड के इस फैसले से पुलिस नाखुश है।
उसके वकील ने कहा है कि पुलिस के पास बोर्ड के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने के इख्तेयारात खुले हैं। मुतास्सिरा का खानदान भी बोर्ड के फैसले को चुनौती देने पर गौर कर रहा है। मुतास्सिरा के भाई ने फैसले को बदकिस्मती करार देते हुए कहा है कि वे छठे मुल्ज़िम के लिए फांसी से कम सजा कुबूल करने को तैयार नहीं हैं। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की चीफ मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने पीर के दिन दिल्ली गैंगरेप के छठे मुल्ज़िम को नाबालिग करार दिया।
बेंच ने यह फैसला उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के उस स्कूल के रिकॉर्ड की बुनियाद पर लिया जहां मुल्ज़िम क्लास दो में पढ़ा था। स्कूल के मौजूदा और साबिक हेडमास्टर 15 जनवरी को बोर्ड के रुबरू पेश हुए थे और कहा था कि स्कूल रिक़ॉर्ड के मुताबिक मुल्ज़िम की पैदाइश की तारीख 4 जून, 1995 है। उन्होंने नाबालिग मुल्ज़िम के उम्र के ताल्लुक में स्कूल का दाखिला रजिस्टर पेश किया था।
नाबालिग करार दिए जाने के बाद यह तय है कि इस मुल्ज़िम के खिलाफ मामला जेजे बोर्ड में चलेगा। वैसे इसके ऊपर वही इल्ज़ाम लगाए हैं, जो मामले के पांच दूसरे मुल्ज़िमों के खिलाफ लगाए गए हैं।