दिल्ली गैंगरेप: फांसी पर फैसला महफूज़

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक साल पहले यानी 16 दिसंबर को दिल्ली में चलती बस में एक इंटर्न फीजियोथेरेपिस्ट (दामिनी)के साथ हुए गैंगरेप के मामले में सुनाए गए सजाए मौत और चार मुल्ज़िमो की अपील पर जुमे के रोज़ फैसला महफूज़ रख लिया। जस्टिस रेवा खेत्रपाल व जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच ने प्रासीक्यूटर्स और बचाव फरीक के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद फैसला महफूज़ रख लिया।

अदालत ने बचाव फरीक के वकीलों से 15 जनवरी तक अपनी तहरीरी दलीलें पेश करने के लिए भी कहा। 23 साला इंटर्न फीजियोथेरेपिस्ट के साथ चलती बस में हुए गैंगरेप में छह लोगों की मुलव्वस पाये गये थी, जिसमें से एक मुल्ज़िम ने तिहाड जेल में खुदकुशी कर ली और एक मुल्ज़िम को स्कूली सर्टीफिकेट की बुनियाद पर नाबालिग मानते हुए उसे तीन साल बाल सुधार गृह में रहने की सजा दी गई है।

निजी बस मुनिरका बस स्टैंड से चली थी और गैर इंसानी जिंसी इस्तेहसाल के बाद मुल्ज़िमो ने मुतास्सिरा और उसके मर्द दोस्त को वसंत विहार थाना इलाके के महिपालपुर में सडक के किनारे दिसंबर की सर्द रात में बिना कपड़े की हालत में फेंक दिया था। पुलिस ने मुतास्सिरा को सफदर जंग अस्पताल में शरीक कराया। उसकी आंत बुरी तरह जख्मी हो गई थी।

उसे खुसूसी इलाज के लिए तैय्यारे से सिंगापुर के माउंट एलीजाबेथ अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर 2012 को यानी वाकिया के 13वें दिन उसकी मौत हो गई। जुनूबी दिल्ली के साकेत वाकेय् फौरी अदालत ने पिछले साल 13 सितंबर को मुल्ज़िम पी मुकेश (26), अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19) और विनय शर्मा (20) को फांसी की सजा सुनाई। निचली अदालत ने सुनाई गई सजा की तस्दीक के लिए मामले को हाइ कोर्ट में भेज दिया। पुलिस ने मुल्ज़िमों के खिलाफ चार्जशीट पिछले साल तीन जनवरी को दाखिल किया था।