नई दिल्ली, 28 मई: मज़हबी अक़ीदे की आड़ लेकर राजधानी की सड़कों व गली-मोहल्लों में जगह-जगह सरकारी जमीन पर कब्जा कर गैर कानूनी तौर पर बनाए गए मज़हबी मुकामात को अब ढहाया जाएगा।
मज़हबी मुकामातों की आड़ में सरकारी जमीन कब्जाने के मामलों को संजीदगी से लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर व आरएस एंडलॉ की बेंच ने दिल्ली हुकूमत के चीफ सेक्रेटरी को हिदायत दी है कि वह फौरन इस मामले में बैठक बुलाएं, जिसमें यह तय किया जाए कि इन गैरकानूनी मज़हबी मुकामातो को कैसे बर वक्त तरीके से ढहाकर जमीन को कब्जा के आजाद कराया जाए।
बेंच ने कहा कि दिल्ली हुकूमत के चीफ सेक्रेटरी दो हफ्ते के अंदर वज़ारत ए दाखिला के ज्वाइंट सेक्रेटरी , दिल्ली हुकूमत के रिवेन्यू डिपार्टमेंट के चीफ सेक्रेटरी , डीडीए के नायब सदर , दिल्ली पुलिस कमिश्नर व दिल्ली हुकूमत के महकमा दाखिला के खुसूसी सेक्रेटरी के साथ बैठक करें। इसके बाद अदालत में रिपोर्ट दायर करके बताया जाए कि इन गैर कानूनी तौर पर तामीर इन मुकामात को गिराने के लिए क्या कदम उठाए गए। अब इस मामले में 22 अगस्त को सुनवाई होगी।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि खुद एक मज़हबी कमेटी ने 75 में से 40 मज़हबी मुकामों को गिराने की सिफारिश की है। बाकी 34 के बारे में कहा गया है कि इनको गिराने में मुखालफत हो सकती है, इसलिए इन मुकामात के आसपास के लोगों को समझाकर और उनसे बातचीत करके गिराया जा सकता है।
75 की फहरिस्त में एक मुकाम को गलती से शामिल कर लिया गया था, वह गैर कानूनी तरीके से नहीं बना है। अदालत ने हुकूमत को इस बात पर भी फटकार लगाई है कि वह अपनी जमीन पर वापस कब्जा लेने में मुनासिब कदम नहीं उठा रही है।
अदालत ने कहा कि डीडीए अभी तक 7.82 एकड़ जमीन पर ही कब्जा ले पाया है। जो कि काफ़ी नहीं है, इसलिए इस सिम्त में जल्दी से कदम उठाए जाएं। अदालत ने दिल्ली पुलिस की भी खिंचाई की है, क्योंकि उसने अपने-अपने इलाकों में हुए गैर कानूनी तामीर की फहरिस्त मज़हबी कमेटी को नहीं सौंपी है।
गौरतलब है कि 17 अप्रैल को अदालत ने सभी एसएचओ को हिदायत दिया था कि वह अपने-अपने इलाकों में डीडीए की जमीन पर बने गैर कानूनी मज़हबी मुकाम की फहरिस्त बनाकर सौंपें। लेकिन शुमाली मशरिकी जिले के इलावा किसी दूसरे ने अपनी फहरिस्त नहीं सौंपी।
ऐसे में अदालत ने जुनूबी, जुनूबी मशरिकी व बाहरी जिले के एडिशनल कमिश्नर को हिदायत दी है कि दो हफ्ते के अंदर मज़हबी कमेटी के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करें कि उनके इलाकों में कितने गैर कानूनी मज़हबी मुकामात बने हुए हैं।
साल 2005 में एक मीडिया रिपोर्ट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने खुद नोटिस लिया था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि तकरीबन 43,000 एकड़ सरकारी जमीन इस्तेमाल नहीं हो रही है या उस पर गैरकानूनी कब्जा कर लिया गया है। उस वक्त से अब तक अदालत इस मामले में खुद निगरानी कर रही है।
पिछले साल जुलाई में अदालत ने दिल्ली हुकूमत व डीडीए को फटकार लगाई थी कि क्योंकि वह इस ताल्लुक में सर्वे कराने में नाकामयाब रहे थे और डीडीए सरकारी जमीन को अपने कब्जे में नहीं ले पा रही थी।