दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है औऱ इसे देखते हुये राजधानी में जारी मल्टीप्लसिटी ऑफ अथारटिज के तहत काम कर रही अलग अलग एजेंसियां अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं।
एनजीटी और अदालतों के निर्देश और विभिन्न कानूनों के तहत तय नियमों के अनुसार एक्शन लिया जाता है। दिल्ली सरकार, नगर निगम और अन्य संबंधित विभाग तथा अदालत द्वारा अधिकार प्राप्त संगठन उल्लंधन होने पर चालान करते हैं और जुर्माना लगाया जाता है।
भारी जुर्माने के बावजूद पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन थमा नहीं है। लगातार प्रदूषण बेहद खराब होने से बचपन के पांवों में जंजीरें बंधी हैं और बुढ़ापा दम तोड़ रहा है। कहते हैं कि ऐसे प्रदूषण से निवासियों की औसत आयु दस साल कम हो रही है। ऐसे में चालान और भारी जुर्माने लगाना अनुचित नहीं लगता।
एन जी टी ने दिल्ली सरकार के प्रयासों को नाकाफी मानते हुये उस पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह भी कहा गया है कि यह राशि दोषी अधिकारियों के वेतन से ली जाये और उल्लंधन करने वाली जनता से वसूली जाये।
एनजीटी ने कहा है कि अगर दिल्ली सरकार जुर्माना नहीं भरती तो उसे हर महीने दस करोड़ रुपये देने होंगे। आदेश कड़ा है पर्यावरण के हित में अहम और बड़ा है।
सचमुच ऐसे एक्शन वायु प्रदूषण के निरंतर बिगड़ने पर लिये जा रहे हैं। अगर भारी जुर्मानों से लोग सबक लें तो सभी का कल्याण होगा वरना क्या होगा उसका कल्पना भी नहीं की जो सकती। कहते हैं वायु है तो आयु है।