नई दिल्लीः मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 15000 अतिथि शिक्षकों और ‘‘सर्व शिक्षा अभियान’’ के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को नियमित करने की मंजूरी दे दी। इन सभी गेस्ट टीचरों को अपेक्षित योग्यता व मानकों पर खरा उतरने के बाद ही विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया था, इस काम को उन्होंने पूरी निष्ठा व लगन के साथ बखूबी निभाया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंत्रिमंडल के बैठक की तुरंत बाद मीडिया को इस अहम फैसले की पृष्ठभूमि और मुख्य विशेषताओं के विषय में जानकारी दी। उन्होंने सूचित किया कि अतिथि शिक्षकों और ‘‘सर्व शिक्षा अभियान’’ अधिनियम के तहत लगे शिक्षकों के नियमितकरण से संबंधित विधेयक को दिल्ली विधान सभा के 4 अक्टूबर को आयोजित विशेष सत्र में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
श्री सिसोदिया ने बताया कि शिक्षा निदेशालय के विद्यालयों में सभी अतिथि शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाने के साथ -साथ सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें बच्चों के लिए आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर, चुनौती और रीडिंग कैम्पेन प्रमुख हैं। यही नहीं, दिल्ली सरकार के स्कूलों ने 12 वीं कक्षा में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए, जो दो वर्षों के निजी स्कूलों के परिणामों से बेहतर थे और इस कीर्तिमान को स्थापित करने में इन शिक्षकों की विशेष भूमिका रही। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों ने विद्यालयों में कक्षा 6-8 के स्तर पर छात्रों के समूह बनाए और उन्हें बेहतर शिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिभा, निष्ठा और नए पाठक जैसे समूहों में विभक्त कर शिक्षा प्रदान की, जो एक अनूठा प्रयास था।
श्री सिसोदिया ने बताया कि एनसीईआरटी के मानकों पर आधारित ‘‘सीखने के परिणाम’’ कार्यक्रम की पहल करने वाला दिल्ली पहला राज्य बना, जिसके तहत अतिथि शिक्षक व सभी शिक्षकों साथ मिलकर शिक्षण प्रदान करने और सीखने की प्रक्रिया पर निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालएं आयोजित की गई, इनसे शिक्षा के महौल को सुधारने के साथ -साथ विद्यालयों के वातावरण को उन्नत करने में भारी मदद मिली।
श्री सिसोदिया ने कहा कि पूरी निष्ठा, बफादारी व लगन के साथ विद्यालयों में शिक्षा प्रदान कर रहे अतिथि शिक्षकों को यदि नवनियुक्त शिक्षकों से बदल दिया गया या हटा दिया गया तो शिक्षा सुधार की प्रक्रिया को भारी झटका लगेगा। उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षक काफी अरसे से सरकारी विद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। उनको विद्यार्थियों को पढ़ाने में कौशल/महारथ हासिल है। ऐसे शिक्षकों और उनके अनुभवों के फायदों से विद्यालयों को वंचित नहीं होने देना चाहिए।