दिल्ली सरकार का सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के स्तर पर लाने की पहल

दिल्ली : दिल्ली सरकार ने अपने बजट में सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के स्तर पर लाने के लिए सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी और केजी क्लास शुरु करने का ऐलान किया है. सरकार की दलील है कि सरकारी स्कूलों में दाखिला पहली कक्षा में मिलता है, जबकि प्राइवेट स्कूल कम उम्र में ही नर्सरी और केजी में बच्चों की पढाई शुरु कर देते हैं, सरकारी स्कूल के बच्चों के पिछड़ने का एक बड़ा कारण भी यही सिस्टम बनता है.

दिल्ली सरकार का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकारी स्कूलों में सुधार का जो अभियान दिल्ली सरकार ने शुरू किया है, नर्सरी क्लासेस शुरू करना भी उसी की एक कड़ी है. ताकि सरकारी स्कूल में भी कम उम्र में बच्चों की भर्ती की जा सके. सि सोदिया के मुताबिक सरकारी स्कूल में पहली क्लास में दाखिले के वक्त बच्चे की उम्र पांच साल के करीब होती है, जबकि प्राइवेट स्कूल में इसी उम्र का बच्चा एक या दो क्लास पढ़ चुका होता है. इसीलिए शुरुआत में करीब 156 स्कूलों में नर्सरी क्लास शुरु की जाएगी और उसी हिसाब से उन स्कूलों में सुविधाएं दी जाएंगी.

यही नहीं स्कूलों में लायब्रेरी भी बनायी जाएंगी. यही नहीं पांचवी से आगे की क्लासेस के लिए लायब्रेरी में ऐसी किताबें रखी जाएंगी, जिसमें रोचक कहानियों और बच्चों की दिलचस्पी वाली किताबें रखी जाएंगी.

वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐलान किया कि पांच स्कूल आफ एक्सीलेंस भी दिल्ली भर में खेले जाएंगे, जो इंग्लिश मीडियम होंगे. इन स्कूलों को निजी स्कूलों के स्तर पर लाया जाएगा.

दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को टेबलेट देगी, वित्त मंत्री के मुताबिक टेबलेट मिलने से शिक्षक अपने छात्रों की पूरी जानकारी उसमें रख पाएंगे, इससे पढ़ाई का स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी. सिसोदिया के मुताबिक इस साल में 24 नए स्कूल शुरू हो रहे है, 8 हज़ार नए कमरे बनकर तैयार हो गए हैं, जो 200 नए स्कूलों के बराबर हैं, अगले साल तक 10 हज़ार और नए कमरे बनेंगे. यूनिफार्म पर भी सब्सिडी देने का ऐलान भी किया गया। वित्तमंत्री के मुताबिक अगले साल में फोकस क्वालिटी एजुकेशन पर होगा.

यही नहीं बजट में एक बड़ा फैसला लेते हुए मिड डे मील में दिल्ली सरकार ने एक केला और उबला हुआ अंडा भी जोड़ने का ऐलान किया है, ताकि बच्चों को क्लालिटी फूड और ज़रूरी पोषण मिल सके. यही नहीं हर स्कूल में पंजाबी और उर्दू क्लब खोलने का फैसला भी हुआ है, ताकि बच्चे न सिर्फ भाषा से परिचित हों, बल्कि संस्कृति के बारे में भी जान सकें.

हालांकि विपक्ष ने न सिर्फ सरकार के दावों को झुठलाया बल्कि विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार ने कोई नया स्कूल नहीं बनाया. गुप्ता के मुताबिक सरकार ने शिक्षा में सुधार के लिए कोई काम नहीं किया, बल्कि पहले से चले काम भी ठप पड़ गए हैं.