दिल्ली हाइकोर्ट ने एयर‌इंडिया के पायलेटों को हड़ताल से रोक दिया

* हड़ताल के दूसरे दिन चार बैन-उल-अक़वामी परवाज़ें मंसूख़(इंटरनेशनल फलाइटें रद), हज़ारों मुसाफ़िरों को दुशवारी , मज़ीद(ओर) 10 पायलेट‌ बरतरफ़(को नौकरी से हटा दीया)
नई दिल्ली मुंबई। दिल्ली हाइकोर्ट ने एयर‌ इंडिया के 200 से ज़ाइद(ज्यादा) एहितजाजी पायलेटों को आज अपनी गै़रक़ानूनी हड़ताल ख़त्म‌ कर देने का हुक्म देते हुए रुख़स्त बीमारी(बीमारी कि छूट्टी) हासिल करने या एहितजाजी मुज़ाहिरें करने से रोक दिया।

इस दौरान(बीच) एयर‌ इंडिया इंतेज़ामीया ने आज मज़ीद(ओर) 10 पायलेटों को बरतरफ़ कर दिया(नौकरी से हटा दीया गया)। इंडियन पायलेट्स‌ गिल्ड (आई पी जी) से वाबस्ता पायलेटों की हड़ताल आज दूसरे दिन में दाख़िल होगई थी जिस के नतीजें में मुसाफ़िरों को सख़्त दुशवारीयों का सामना करना पड़ा(उठानि पडी)।

मुख़्तलिफ़ तैरान‌गाहों(एयरपोटों) पर परवाज़ों की आमद-ओ-रफ़्त(फलाइटों के आने जाने) में कई घंटों की ताख़ीर होगी। एयर‌ इंडिया के एक तर्जुमान ने कहा कि हड़ताल के सबब आज चार बैन-उल-अक़वामी परवाज़ें मंसूख़ करदी गईं(इंटरनेशनल फलाइटें रद करदि गइं) जिन में दो परवाज़ें(फलाइटें) मुंबई और दो नई दिल्ली से मुक़र्रर(तय) थीं।

इस ओहदेदार ने कहा कि तमाम बैन-उल-अक़वामी तय्यारे(इंटरनेशनल फलाइटें) हंगामी(इमरजंसी) मंसूबे के मुताबिक़ परवाज़ कर रहे हैं। इंडियन पायलेट्स गिल्ड (आई पी जी) के ब्यानर तले(साथ) ये पायलेट्स बोइंग 787 ड्रीम लाईन्ज़ की तर्बीयत के शैडूल पर नज़र-ए-सानी के ख़िलाफ़ और अपने दीगर(दुसरें) मुताल्लिक़ा मसाइल पर तवज्जा मबज़ूल करवाने(ध्यान दीलाने) के लिए एहतिजाज कर रहे थे।

दिल्ली हाइकोर्ट के जस्टिस रीवा कीथरयाल ने आई पी जी को नोटिस जारी करते हुए एयर‌ इंडिया इंतेज़ामीया को जवाब देने की हिदायत की है। एयर‌ इंडिया ने अदालत से मुदाख़िलत करते हुए हड़ताली पायलेटों को उन की हड़ताल ख़त्म‌ करने का हुक्म देने की दरख़ास्त की थी। जस्टिस कीथरापाल ने हुक्म जारी करते हुए कहा मुद्दआ अलैहि नंबर 1 (आई पी जी) इस के अरकान एजंट्स और इस के ओहदेदार गै़रक़ानूनी हड़ताल से बाज़ रहें(दूर रहें)। ये पायलट्स बीमारी का उज़्र(बहाना) पेश करने, धरने मुनज़्ज़म करने और एहितजाजी मुज़ाहिरे करने से और दिल्ली दीगर मुक़ामात पर एयर‌ इंडिया के दफ़ातिर के बाहर किसी भी किस्म की हड़ताल करने से बाज़ रहें(रुक जाए)।

जज ने मज़ीद कहा कि एसी हड़ताल को जारी रखने की इजाज़त देने से कंपनी को नाक़ाबिल तलाफ़ी(बहुत बडा) नुक़्सान होगा। इस के इलावा क़ौमी एयरलाइंस इदारा के ज़रीया सफ़र करने वाले मुसाफ़िरों को सख़्त दुश्वारियां(परेशानियां) होंगी।

एयर‌ इंडिया मेनेज्मेंट के वकील ललित भासन ने पायलेटों के इंजेक्शन दरख़ास्त दायर करते हुए इस हड़ताल को गै़रक़ानूनी क़रार दिया और कहा कि हड़ताल के सबब इस कंपनी को अपनी चंद बैन-उल-अक़वामी परवाज़ें मंसूख़ (इंटरनेशनल फलाइटें रद)करने पर मज्बूर होना पड़ा है जिस के नतीजें में मुसाफ़िरों को सख़्त दुशवारीयों का सामना करना पड़ा(परेशानियां हुइ हैं)।

मज़ीद बरआँ(ओर) परवाज़ों की मंसूख़ी(रद करने) से एयर‌ इंडिया को यौमिया(एक दिन का) 10 करोड़ रुपया के भारी मालीयाती ख़सारा का सामना(नूकसान) है। वकील के इस्तिदलाल(दलिल) से इत्तिफ़ाक़ करते हुए अदालत ने कहा कि अदालत का ये नज़रिया है कि कंपनी ने बादियुन्नज़र(साफ शब्दों) में अपना मुद्दा ब्यान कर दिया। ये मफ़ाद-ए-आम्मा(लोगों के फाइदों) की ख़िदमत से वाबस्ता (जूडी हूइ)कंपनी है। सुप्रीम कोर्ट ये वाज़िह करचुका है कि मफ़ाद-ए-आम्मा ख़िदमात(लोगों कि भलाइ चाहने वालि) की कंपनीयों को इस किस्म की हड़तालों के ज़रीया यरग़माल नहीं बनाया जा सकता(बंद नहि किया जासकता)।

अदालत ने इस मुक़द्दमा की मज़ीद समाअत(ओर‌ सुन्वाइ) के लिए आइन्दा(अगली) पेशी 13 जुलाई को मुक़र्रर(तय) की है।