मुहम्मद ज़ाकिर रियाज़
नई दिल्ली: सोमवार, 14 नवम्बर को जंतर मंतर पर कई नागरिक संगठनों ने सरकार द्वारा अचानक 1000 और 500 रूपये के नोट को बंद किये जाने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया।
गत 8 नवम्बर को रात आठ बजे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में अचानक एक हज़ार और पांच सौ के नोटों के प्रचलन को बंद करने की घोषणा की थी। इस फैसले के बाद पूरे देश में आर्थिक अराजकता जैसा माहौल बन गया है। अब लोगों ने इस मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन करना भी शुरू कर दिया है।
सोमवार को जंतर मंतर पर आयोजित कवियों, लेखकों, छात्र संगठनों, नागरिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त धरना प्रदर्शन में इस फैसले को वक्ताओं ने जन विरोधी करार दिया। प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस फैसले से काला धन रखने वाले व्यक्तियों पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि सिर्फ गरीब, कामगार आम जनता को ही इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे फोरम अगेंस्ट करप्शन एंड थ्रेट्स के अध्यक्ष इंदु प्रकाश सिंह ने कहा, “इस फैसले से काले धन पर लगाम नहीं लग पायेगी। इससे सिर्फ आम जनता का ही उत्पीडन होगा। बल्कि यह फैसला काला धन रखने वालों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है क्योंकि अब नोटों की ही काला बाजारी शुरू हो गयी है।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर सरकार ने इस फैसले को योजनाबद्ध तरीके से किया होता तो आम जनता को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। तब इस फैसले को जनता ख़ुशी से स्वीकार करती।”
शहरी महिला कामगार यूनियन की अध्यक्ष अनीता कपूर ने कहा, “इस फैसले से सबसे ज्यादा पीड़ित दिहाड़ी मजदूर और गरीब लोग हैं। उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी थम गयी है। गृहणियों की हालत यह हो गयी है कि वो फिलहाल घर का सामान भी नहीं खरीद पा सही हैं। जिन लोगों ने अपने नोट बदल लिए हैं उन्हें भी कोई राहत नहीं है। क्योंकि उन्हें बैंक से दो हज़ार के नोट मिले हैं। इस दो हज़ार के नोट को कोई दूकानदार नहीं ले रहा है क्योंकि इसके छुट्टे मिलना मुश्किल हो रहा है।”
“यह फैसला पूरी तरह से गरीब विरोधी है। सरकार को चाहिए कि वह कम मूल्य वाले नोटों को जल्द से जल्द बाज़ार में उतारे और इन नोटों को वापस ले, ” उन्होंने जोड़ा।
योजना आयोग (अब नीति आयोग) की पुर्व सदस्य डॉ सयेदा सय्येदेन हमीद ने कहा, “इस फैसला से कुछ हासिल नहीं होने वाला बल्कि इससे सिर्फ आम लोगों की परेशानी ही बढ़ेगी। जिन्हें लगता है इससे काला धन वापस आ जायेगा, वे बिलकुल गलत हैं।”
“यह फैसला जनविरोधी है और इस सरकार के लिए घातक साबित होगा। लोग लाइन में खड़े हुए मर रहे हैं। एक बच्चे की मौत हो गयी क्योंकि उसके पिता के पास पैसे नहीं थे। इन लोगों की जान वापस कैसे आएगी? आम जन का और ज़्यादा नुक्सान होने से पहले सरकार को इस फैसले को वापस ले लेना चाहिए।”
इस प्रदर्शन में कई अन्य लोगों ने भी विचार रखे जिनमें मजलिस-ए मशावरात के सदर नवेद हामिद, आश्रय अधिकार अभियान से नवनीत सिंह, आइसा से सुचेता दे और प्रतिरोध का सिनेमा से संजय जोशी शामिल थे।