दिल सेहतमंद तो हम भी सेहतमंद !

मुंबई, 22 जनवरी (एजेंसी) कहते हैं दिल सेहतमंद तो हम भी सेहतमंद और दिल बीमार तो हम भी बीमार। ऐसे कई लोग होते हैं जो आरज़ा-ए-क़लब में मुब्तिला होते हैं लेकिन उन्हें इसका इल्म नहीं होता और किसी दिन अचानक क़लब पर हमला से वो फ़ौत हो जाते हैं ।

मेडीकल साईंस ने जो तरक़्क़ी की है इसके मुताबिक़ क़लब पर हमले की कुछ अलामतों को उजागर भी किया गया है ताकि मुतास्सिरा अफ़राद बरवक़्त तिब्बी इम्दाद हासिल करते हुए अपनी कीमती जानों को बचा सकें।

(सीने में बेचैनी) : क़लब पर हमला की सबसे अहम और आम अलामत ये है कि सीने में बेचैनी महसूस हुई है और वो भारी महसूस होने लगता है । कभी कभी जलन का भी एहसास होता है । इन अलामात को हरगिज़ नज़र अंदाज़ ना किया जाये और फ़ौरी तौर पर डाक्टर से रुजू किया जाये

(सांस लेने में दुशवारी) : अगर सांस लेना दुशवार हो जाए, मामूली से चहलक़दमी , ऊंची जगह पर चढ़ना या कोई मामूली वरज़िश के बाद भी सांस लेना दुशवार हो रहा हो तो समझ लीजिए कि ये आपकी परेशानी का बाइस हो सकती है । अगर इन अलामात के साथ सीने में बेचैनी महसूस ना भी हो तो उसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहीए।

(पसीना आना) : गर्मी में पसीना आना क़ुदरती बात है लेकिन सुरमा ( जाड़े) के मौसम में भी आप पसीना में तर रहते हों तो ये आरज़ा-ए-क़लब में मुब्तिला होने की अलामत है।

(मतली आना): मतली आना भी आरज़ा-ए-क़्लब में मुबतला होने की अलामत है।

(बाज़ू शॅल हो जाना) अगर आप के बाज़ू बराबर शॅल हो जाते हैं। या सुन्न पड़ जाते हैं और इनमें कोई एहसास बाक़ी नहीं रहता और वो एक तरफ़ यूं ही पड़ जाते हैं तो ये भी आर्सा क़लब की ख़तरनाक अलामत है । इलावा अज़ीं अगर आपके जिस्म को कुछ हिस्से जैसे बाज़ू , कंधे , पीठ और गर्दन पर किसी भी नौवियत का कोई एहसास बाक़ी नहीं रहता तो भी ख़तरनाक अलामत है ।

बात चीत करने में लड़खड़ाहट सिर्फ़ शराब के नशे से नहीं होती बल्कि अगर आप आम दिनों में भी लड़कड़ाहट महसूस करते हैं तो फ़ौरी डाक्टर से रुजू हुए।