दीनी मदारिस के तलबा के लिए ऑनलाइन तदरीस, नौजवान मुफ़्ती की कोशिश

सारी दुनिया एक आलमी गावं में तब्दील हो चुकी है। इन्फॉर्मेशन टेक्निलॉजी ने फ़ासलों को मिटा दिया है। हिंदुस्तान के दूर दराज़ के किसी गाँव में बैठ कर आप इंटरनेट के ज़रीए सात समुंद्र पार बरसरे कार या मुक़ीम किसी रिश्तेदार से ना सिर्फ़ रब्त कर सकते हैं बल्कि घंटों दू बदू बात चीत भी कर सकते हैं।

इंटरनेट ने ज़िंदगी के हर शोबा में इन्क़िलाब बरपा कर दिया है। कहते हैं कि इंटरनेट सारी दुनिया में अख़लाक़ी इक़्दार में गिरावट का बाइस बना हुआ है। इस से मुआशरा में बेहुदगी बेशर्मी और बेहयाई फैल रही है। लेकिन इंटरनेट के बारे में ये ज़रूर कहा जा सकता है कि इस का बेहतर और मुसबत अंदाज़ में इस्तेमाल किया जा सकता है। दीन की तब्लीग़ और इशाअत दर्स और तदरीस, वाज़ और नसीहत, नेकियों को फैलाने और बुराईयों के ख़ात्मा के लिए इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल किया जा सकता है।

ख़ुशी की बात ये है कि अब हमारे उल्माए दीन के क़िलों यानी दीनी मदारिस के फ़ारिग़ुल तहसील तलबा और असातिज़ा कंप्यूटर से कमाहक़ा वाक़फ़ियत हासिल कर रहे हैं और इंटरनेट के ज़रीए मुख़्तलिफ़ वेबसाइट्स को इस्तेमाल करते हुए अपना प्याम दूसरों तक पहुंचा रहे हैं। दीनी मदारिस के फ़ारिग़ुल तहसील ऐसे तलबा भी हैं जो बड़ी कामयाबी के साथ कंप्यूटर सेंटर्स चला रहे हैं।

मोबाईल फोन्स, कंप्यूटर्स वगैरा की दरूस्तगी के मराकज़ चला रहे हैं ये लोग कंप्यूटर हार्डवेयर में माहिर हैं। हमारी मुलाक़ात एक ऐसे ही नौजवान आलिम से हुई जिन्हों ने रियासत के दूर दराज़ मुक़ामात पर मुक़ीम तलबा तालिबात के लिए ऑनलाइन तालीमी कोर्स शुरू किया है। हम मुफ़्ती ख़्वाजा मुइज़ उद्दीन ताहिर नदवी की बात कर रहे हैं।

28 साला उस नौजवान ने जो शहर के मुमताज़ आलिम मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद ख़्वाजा नज़ीर उद्दीन सुबेली नाज़िम जामिआ आईशा निस्वां मादन्ना पेट के फ़र्ज़ंद अकबर हैं। उन्हों ने बताया कि जामिआ आईशा निस्वां के दोनों रियासतों आंध्र और तेलंगाना में 34 ब्रांचेस हैं। सिर्फ़ शहर की मेन ब्रांच में 1600 तालिबात तालीम हासिल कर रही हैं जिन में से दारुल अक़ामा में 900 तालिबात मुक़ीम हैं।

दूर दराज़ के देहातों और टाउंस में मुक़ीम तालिबात तक रसाई मुश्किल हो रही थी वहां के लिए क़ाबिले तरीन असातिज़ा का इंतेज़ाम भी एक चैलेंज बन गया था ऐसे में हम ने इंटरनेट इस्तेमाल करते हुए स्काइप के ज़रीए आलिम का कोर्स करने वाली तालिबात को पढ़ाने का इंतेज़ाम किया चूँकि गाँव में इंटरनेट की बेहतर सहूलतें नहीं हैं।

अगर्चे मुख़्तलिफ़ साईट्स पर उल्मा के ख़िताबात बहुत ज़्यादा है लेकिन ऑनलाइन तदरीस के सिलसिला में बहुत काम करने की ज़रूरत है। उन्हों ने एक सवाल के जवाब में बताया कि दीनी मदारिस के फ़ारिग़ुल तहसील तलबा इंटरनेट का बेहतर अंदाज़ में इस्तेमाल करते हुए अंग्रेज़ी और दीगर ज़बानों पर उबूर हासिल कर सकते हैं।

बहरहाल हमारे शहर में उल्मा इंटरनेट का बहुत ही बेहतर अंदाज़ में इस्तेमाल कर रहे हैं और इस रुजहान की हौसला अफ़्ज़ाई की जानी चाहीए इस लिए कि दुनिया के मुख़्तलिफ़ ममालिक में मुक़ीम मुसलमानों को शरई मसाइल से लेकर दीने इस्लाम के बारे में मालूमात पहुंचाने की शदीद ज़रूरत है।