दुआ करने की वजह से लड़की की इज्ज़त बच गई

मुनीबा, एक मुस्लिम लड़की जो यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं, गर्मी की छट्टियों में घर पर थीं, वह अपने कुछ बहनों से मिलने उनके घर गई, जब वह उनसे मिलीं तो अपने पिछले साल के बारे में बातें करते हुए पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गई। वह बात खत्म करके अपने बहन के घर रहने का सोच रही थी। क्यूंकि काफी शाम हो गई थी.

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लेकिन मुनीबा को अकेले घर के लिए चलना पड़ा, पर वह डर नहीं रहीं थीं क्योंकि वह एक छोटे शहर में थी और उनका घर केवल कुछ ब्लाकों के पीछे था, वह लम्बे एल्म के पेड़ के नीचे चलने लगी. मुनीबा ने “अल्लाह” से दुआ की कि ‘अल्लाह तू मुझे हर खतरे से बचा और मेरी हिफाजत फरमा जब मैं इस गली से गुजरूँ’ जो उसके घर तक जाने के लिए शोर्ट कट था उसने उसी रस्ते से जाने का फैसला किया.

हालांकि, जब उसने आधा रास्ता पार किया तो देखा कि एक आदमी गली के अंत में खड़ा है, जैसे कि वह उसका ही इंतज़ार कर रहा हो। वह बेचैन हो गई और उसने अपनी हिफाजत के लिए “अल्लाह” से दुआ करना शुरू कर दिया. जिसके बाद वह उस शांत जगह में बेहतर महसूस करने लगी उसे ऐसा लगा जैसे वह किसी सिक्यूरिटी के घेरे में है जैसे उसके साथ कोई चल रहा है, जब वह गली के अंत में पहुंची तो उसने देखा कि वह युवक खड़ा है. और वह सुरक्षित रूप से घर पहुंच गई.

दुसरे दिन उसने पेपर में पढ़ा की एक जवान लड़की का उसी गली में उसके जाने के बीस मिनट बाद बलात्कार हुआ.

इस घटना को पढ़ कर वह सहम गई और उसने सोचा कि यह घटना मेरे साथ भी हो सकती थी, वह रोने लगी. उसने सुरक्षित घर पहुँचाने के लिए “आल्लाह” का शुक्रिया अदा किया, और उसने उस पीडिता की सहायता के लिए भी “अल्लाह” से दुआ की.

उसने पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया, उसने महसूस किया कि वह उस आदमी को पहचान सकती है, तो उसने पुलिस को इस पूरे घटना के बारे में बताया, पुलिस ने उससे पूछा कि क्या वह उसके हुलिए के बारे में बता सकती है.मुनीबा ने उस आदमी के हुलिए के बारे में बताया जिस के सहारे पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

अधिकारी ने मुनीबा की बहादुरी के लिए उनका धन्यवाद किया और पूछा कि वह उसके लिए क्या कर सकता है, तो लड़की ने कहा कि क्या वह उस आदमी से एक सवाल पूछ सकती है”?

मुनीबा उत्सुक थी यह जानने के लिए कि उसने उस पर हमला क्यों नहीं किया? जब पुलिसवाले ने उनसे पूछा तो आरोपी ने कहा कि “क्योंकि वह अकेली नहीं थी” उसके साथ दो और आदमी थे”