आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर रोज़नामा सियासत ने कहा कि असर-ए-हाज़िर में एक हक़ीक़ी मुस्लमान के लिए हर सतह पर मुख़्तलिफ़ नौईयत के चैलेंजेज दरपेश हैं जिन से निमटना और उन पर क़ाबू पाना बहुत बड़ा जिहाद है। उन्होंने कहा कि ज़िंदगी के मुआमलात और शादी बियाह में आज भी मुस्लमान फ़र्सूदा रवायात और बेजा रस्म-ओ-रिवाज का असीर बना हुआ है इस तरह आज के दौर में पराक्टीकल इस्लाम और कल्चरल इस्लाम में बहुत बड़ा तज़ाद पैदा होगया है। शादी की तक़ारीब में दिखावा , बनावटीपन दरअसल हमारी ज़हनी गिरावट का नतीजा है। हम में से अक्सर लोग ये सोचते हैंके उनके रिश्तेदार-ओ-पड़ोसी क्या कहेंगे।
अल्लाह की रज़ा और अपने प्यारे नबी करीम(स०) की ख़ुशनुदी के बजाये हम ज़माने से ख़ौफ़ खाए हुए हैं । इस लिए मुसलमानों के हालात और मसाइल संगीन नौईयत इख़तियार करचुके। आमिर अली ख़ां मुस्लिम बहबूद कमेटी ज़िला करीमनगर के ज़ेरे एहतेमाम एस एफ़ एस गार्डन , पदापल्ली रोड करीमनगर में तीसरे दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम में शरीक वालिदैन-ओ-सरपरस्तों के एक पुर हुजूम जलसे को मुख़ातब कररहे थे। इदारा सियासत और माइनॉरिटी डेवलपमेंट फ़ोरम हैदराबाद के तआवुन से मुनाक़िदा इस प्रोग्राम की सदारत सय्यद मुही उद्दीन सदर मुस्लिम बहबूद कमेटी करीमनगर ने की। मौलाना मुफ़्ती बरकत उल्लाह क़ासिमी अमीर शरई फ़ैसला कमेटी करीमनगर , आबिद सिद्दीक़ी सदर माइनॉरिटी डेवलपमेंट फ़ोरम ने मेहमानान एज़ाज़ी की हैसियत से शिरकत की। इस मौके पर सियासत और एम डी एफ़ के ओहदेदार इक़बाल अहमद ख़ां , एम ए क़दीर ( नायब सदूर ) , अहमद सिद्दीक़ी मुकेश , मुहम्मद नस्र उल्लाह ख़ां और दूसरे मौजूद थे। जनाब आमिर अली ख़ां ने कहा कि मुस्लिम मुआशरा में मौजूदा बिगाड़ का असल सबब करानी अहकामात से ना वाक़फ़ीयत और दूरी है। उन्होंने कहा कि क़ुरआन सिर्फ़ पढ़ने वाली किताब नहीं है बल्कि अल्लाह ने कुरअनी आयात पर ग़ौर-ओ-फ़िक्र करने का हुक्म दिया है।
उन्होंने कहा कि सूरते निसा-ए-में शादी से मुताल्लिक़ तमाम अहकामात और मसाइल के हल का अहाता किया गया । ज़रूरत इस बात की हैके मुस्लमान करानी तालीमात पर अमल करें और हुज़ूर (स०) की हयात तुयबा को उस्वा बनाईं। उन्हों ने कहा कि दुनिया-ओ-आख़िरत में सरबुलन्दी इस्लाम के ज़रीये ही मुम्किन है। उन्होंने मुसलमानों पर ज़ोर दिया कि सादी ज़िंदगी गुज़ारें ताकि उनकी ज़िंदगीयों में हक़ीक़ी ख़ुशी और सुकून पैदा होसके। उन्होंने इस बात पर अफ़सोस किया कि मुस्लिम शादीयों में हिर्स-ओ-लालच , रयाकारी , झूटी शान-ओ-शौकत का रुजहान बढ़ता जा रहा है जिस के बाइस मुस्लिम शादियां नाकाम होरही हैं।