दुनिया के मुसलमानों के लिए फलस्तीन और यरुशलम बनता जा रहा है अहम और पहला मुद्दा, इजरायल के लिए खतरे की घंटी!

1967 में फिलिस्तीन पर इसराइल ने कब्जा कर लिया था। बैतुल मुक़द्दस को इस्राइली येरुशलम कहते हैं और यह शहर यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों तीनों के लिए एक पवित्र शहर है।

इजराइल ने फिलिस्तीन के कुछ हिस्सों पर कब्जा किया हुआ है जिनमे पूर्वी जेरुसलम भी शामिल है। पूर्वी जेरुसलम शहर की चर्चा दुनिया भर में है।

सोमवार को अमेरिका ने जेरुसलम में अपना नया दूतावास खोला है, जबकि इससे पहले यहां किसी भी देश का दूतावास नहीं था. सभी देशों के दूतावास तेल अवीव शहर में थे।

अब अमेरिका की एम्बेसी को लेकर बवाल मचा हुआ है. ये शहर दुनिया की सबसे विवादित जगहों में से एक है। इजरायल येरुशलम को अपनी अविभाजित राजधानी मानता है, जबकि फिलिस्तीनी इसे अपनी भावी राजधानी मानते हैं।

अमेरिका की एम्बेसी जेरुसलम में शिफ्ट हो जाने के बाद इसरायली हमलों से हुई फिलिस्तीनियों की मौत से हर कोई चिन्तित है और हर कोई फिलिस्तीन की ही चिंता में है।

खबरों के अनुसार मुस्लिम विद्वानों के अंतर्राष्ट्रीय संघ के अध्यक्ष यूसुफ अल-क़रादावी ने कहा कि दुनिया भर के सभी मुसलमानों को यरूशलेम के बारे में चिंतित होना चाहिए और इसकी रक्षा करना चाहिए, उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल एक मामला नहीं है जो फिलिस्तीनियों और अरबों को प्रभावित करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने तेल अवीव से यरूशलेम में अपने दूतावास को स्थानांतरित करने के बाद अल-क़रादावी ने ट्विटर पर लिखा, “हम सभी मुस्लिमों के लिए फिलिस्तीन मुख्य मुद्दा है और इसकी रक्षा करना एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य है।

दिसंबर 2017 में, अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रम्प ने यरूशलेम को इजरायल की राजधानी के रूप में पहचानने और कब्जे वाले शहर में अपने दूतावास को स्थानांतरित करने के अपने प्रशासन के फैसले की घोषणा की। सोमवार को नया दूतावास का उद्घाटन किया गया।

जेरुसलम में डोम ऑफ रॉक और अल अक्सा मस्जिद मौजूद है. ये मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। मुस्लिम समुदाय का कहना है की पैगंबर मोहम्मद जी ने मक्का से यहां तक एक रात में यात्रा की थी। वहीं, डोम ऑफ रॉक के लिए कहा जाता है कि यहीं से पैगंबर ने जन्नत की यात्रा की थी।