दुनिया के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से सात भारत में हैं, जकार्ता में मंगलवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से अगले साल तक तकरीबन 70 लाख लोगों की जान जा सकती है। इसके अलावा 2018 में गुरुग्राम गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और भिवाड़ी के साथ शीर्ष छह सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों का नेतृत्व किया। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण अगले साल वैश्विक स्तर पर अनुमानित सात मिलियन लोगों की मौत का कारण बन सकता है जिससे दुनिया को तकरीबन 225 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
शीर्ष पांच की सूची में एकमात्र गैर-भारतीय शहर फैसलाबाद, पाकिस्तान है। सूचकांक पीएम 2.5 के रूप में जाना जाने वाले महीन कण पदार्थ की उपस्थिति को मापता है, जो एक प्रदूषक है जो मानव के फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहरा बदलाव कर सकता है। ग्रीनपीस के दक्षिण-पूर्व एशिया के कार्यकारी निदेशक येब सानो के मुताबिक, “प्रदूषण का खासा दुष्प्रभाव पड़ता है। यह हमारे स्वास्थ्य और जेब पर असर डालता है। इससे जिंदगियों तो खत्म हुई हीं, साथ ही अनुमानित 225 बिलियन डॉलर (करीब 15 लाख करोड़ रुपए) का भी नुकसान हुआ और करोड़ों डॉलर दवाओं पर खर्च हुए।”
भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था, शीर्ष 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 को बनाता है, जिसमें पांच चीन में, दो पाकिस्तान में और एक बांग्लादेश में है। विश्व बैंक के अनुसार भारत सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 प्रतिशत के रूप में प्रदूषण से स्वास्थ्य देखभाल की लागत और उत्पादकता के नुकसान की भरपाई करता है।
आंकड़ों के अनुसार, चीन ने पिछले साल से 2018 में औसतन 12 प्रतिशत की गिरावट के साथ, आमतौर पर निराशाजनक प्रदूषण स्तर में प्रगति की है। इस हफ्ते शुरू होने वाले नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठकों के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीन तथाकथित “महत्वपूर्ण लड़ाइयों” की प्रगति पर राजनीतिक पार्टी के नेताओं के साथ साझा करेंगे ।