दिल्ली सरकार महिलाओं के लिए बसों और मेट्रो में फ्री राइड लागू करने जा रही है। इसके बाद से ही फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट हॉट टॉपिक बन गया है। इसके पक्ष और विपक्ष में लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। आपको बता दें कि दुनिया के करीब 99 शहरों में किसी न किसी रूप में फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट लागू है और लगभग हर जगह ही इसे एक साथ सभी के लिए लागू न करके कई स्टेप्स में अलग-अलग ग्रुप्स के लागू किया गया।
ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या दिल्ली में भी फ्री ट्रांसपॉर्ट सिर्फ महिलाओं तक ही लागू रहेगा? या भविष्य में इसे सभी के लिए लागू किया जा सकता है। क्योंकि दिल्ली में भयानक पलूशन के अलावा ट्रैफिक जाम जैसे समस्याओं से परेशान है। ऐसे में फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट आने से लोग अपनी गाड़ियां छोड़कर इसे अपनाएंगे!
फिलहाल दुनिया के जिन शहरों में फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट है उनमें ज्यादातर विकसित देशों के हैं जिनका मुख्य उद्देश्य इन्वाइरनमेंट को बचाने के लिए पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को बढ़ावा देने का है। लेकिन विकासशील देश भी इस कॉन्सेप्ट को अपना रहे हैं। 2017 में हुए एक स्टडी के मुताबिक दुनियाभर में करीब 99 ऐसे शहर हैं जहां पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को फ्री कर दिया गया है। इन शहरों में सबसे ज्यादा 57 यूरोप से हैं। उसके बाद नॉर्थ अमेरिका का नंबर आता है जहां 27 शहरों में पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को फ्री कर दिया गया है। साउथ अमेरिका में 11 ऐसे शहर हैं और चीन की 3 शहरों में यह फ्री राइड का सिस्टम लागू है। लगभग सभी जगह फ्री राइड के पक्ष और विपक्ष में बहसें भी चल रही हैं।
-फ्रांस का डनकिर्क शहर यूरोप का ऐसा सबसे बड़ा शहर बन चुका है जहां पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को फ्री कर दिया गया है। इस शहर की आबादी करीब 2 लाख है और यहां सभी पैसेंजर्स को फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में बसों में फ्री राइड दी जा रही है। सिर्फ इस शहर के निवासी ही नहीं बल्कि यहां विजिट करने वाले दूसरे लोग भी फ्री बस राइड ले सकते हैं।
-2018 की शुरुआत में जर्मनी के 5 शहरों ने भी फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट देने का ऐलान किया था हालांकि बाद में उन्होंने इस फैसले में थोड़ा बदलाव करके पब्लिक ट्रांसपॉर्ट के किराए को बेहद कम कर दिया।
-चीन के हुनान प्रांत का शहर चैंगनिंग दुनिया का सबसे बड़ा शहर है जहां पर फ्री पब्लिक ट्रांसपॉर्ट दिया जा रहा है। यहां पर यह सिस्टम 2008 से लागू है। जिन दिन यह फ्री राइड का सिस्टम लागू हुआ था उसी दिन राइडर्स की तादाद में 60 पर्सेंट इजाफा हो गया था।
-ब्राजील के 10 कस्बों में साल 2011 से यह सुविधा मिल रही है, लेकिन इनकी आबादी भी 50,000 से भी कम है। अमेरिका में नगरपालिका स्तर पर दर्जनों कस्बों में सीमित स्तर पर फ्री ट्रांसपॉर्ट सेवाएं जारी हैं, जिनकी फंडिंग स्थानीय निकाय या कम्यूनिटी सेंटर करते हैं।
-रूसी शहर वोरोनिश ओब्लास्ट में हर 30 मिनट पर फ्री बस सेवा मिलती है, हालांकि देश के तमाम छोटे कस्बो में भी स्थानीय निकायों ने फ्री ट्रांसपॉर्ट की व्यवस्था की है। इजराइल के शहर तिबरियास में इसी साल से वीकेंड पर फ्री ट्रांसपॉर्ट सेवाएं मिल रही हैं, जबकि दुबई ने भी चुनिंदा दिनों पर ऐसा करने की घोषणा की है।
कौन करता है फंड फ्री राइड सर्विस को?
लेकिन जिन शहरों या कस्बों में ये सेवाएं मुफ्त मिल रही हैं, वहां जरूरी नहीं कि इसकी फंडिंग सिर्फ सरकार या स्थानीय निकाय ही कर रहे हों। कुछ जगहों पर सिटी सेंटर के मॉल भी इसमें योगदान देते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा खरीदार उन तक पहुंच सकें। कुछ जगहों पर गरीब और कम वेतन वाले मजदूरों के प्रोत्साहन के तौर पर निजी कंपनियां भी सरकारी मुहिम में योगदान देती हैं।
क्या हैं इसके नफे और नुकसान?
अमेरिका में वर्षों पहले कई शहरों ने इसकी पहल की, लेकिन इसके नफे-नुकसान का जायजा लेकर कदम पीछे खींच लिए। 2002 में नैशनल सेंटर फॉर ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च ने इसके कुछ नुकसान भी गिनाए। इनमें रेवेन्यू की चपत के साथ ट्रांसपॉर्ट क्वालिटी और अनुशासन में गिरावट की आशंका जताई गई। भीड़ बढ़ने से सिक्योरिटी और गाड़ियों की मरम्मत पर होने वाले अतिरिक्त खर्च का हवाला भी दिया गया।
साभार: नवभारत टाइम्स