दुनिया को मज़ीद एक संगीन मआशी बोहरान का सामना

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा 3 दिसमबर (पी टी आई) अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने वार्निंग दी है कि दुनिया मज़ीद एक आलमी मआशी बोहरान के दहाने पर पहुंच चुकी है, जिस के सबब 2012-में कसादबाज़ारी के साथ आलमी इक़तिसादी तरक़्क़ी सुस्त रवी का शिकार होजाएगी। हत्ता कि हिंदूस्तान और चीन जैसी तेज़ी के साथ उभरने वाली मईशतें भी जो गुज़शता बोहरान के दौरान महफ़ूज़ रही थी, अब उस की ज़द में आ सकती हैं।

आलमी इक़तिसादी सूरत-ए-हाल और इमकानात 2012 के ज़ेर-ए-उनवान अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की ताज़ा तरीन रिपोर्ट में कहा गया है के आइन्दा साल 2.6 फ़ीसद आलमी मआशी तरक़्क़ी की पेश क़ियासी की गई है, जबकि 2010 में ये शरह 4 फ़ीसद थी। रिपोर्ट ने 2012 को आलमीमईशत केलिए करो या मर्व का साल क़रार दिया है और कहा है के इस साल मआशीबोहरान में शिद्दत पैदा होसकती है और सुस्त रवी बदस्तूर बरक़रार रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है के 2 साल के दौरान अगरचे सारी दुनिया अपने मआशी बोहरान से उभरने की कोशिश करती रही है, लेकिन अब ऐसा महसूस होता है के दुनिया अब मज़ीद एक संगीनमआशी बोहरान के दहाने पर पहुंच चुकी है।

रिपोर्ट ने ख़बरदार किया कि 2012 के दौरान सुस्त रवी-ओ-कसादबाज़ारी की शरह में दुगुना इज़ाफ़ा होसकता है। रिपोर्ट ने कहा कि बिलख़सूस यूरोप और अमरीकी पालिसी साज़ों की नाकामी भी इस सूरत-ए-हाल केलिए ज़िम्मेदार है। आइन्दा साल हिंद और चीन की मआशी तरक़्क़ी 5.6 फ़ीसद रहेगी।