दुनिया तेज़ी से हमा कुतुबी निज़ाम की सिम्त गामज़न

दुनिया तेज़ी से हमा कुतुबी निज़ाम की सिम्त गामज़न
ज़हीराबाद ,०५ जनवरी ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) एसोसीऐट प्रोफ़ैसर-ओ-सदर शोबा पोलीटिक्ल साईंस-ओ-पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन मौलाना आज़ाद उर्दू यूनीवर्सिटी डाक्टर अबदुल क़य्यूम ने अमरीका को दुनिया की अज़ीम ताक़त क़रार दिया और कहा कि अमरीका को ये मौक़िफ़ 1991 मैं सोवीट यूनीयन के ज़वाल के बाद हासिल हुआ है जबकि सोवीट यूनीयन का ज़वाल बीसवीं सदी की आलमी तारीख़ का एक अहम वाक़िया है जिस ने दुनिया के दो कुतुबी निज़ाम को यक कुतुबी निज़ाम में तबदील करदिया । डाक्टर अबदुल क़य्यूम कल यहां गर्वनमैंट डिग्री कॉलिज में अज़ीम ताक़तों के ज़ेर-ए-उनवान मुनाक़िदा तो सेवी लेकचरर के
शुरका को मुख़ातब कर रहे थे । जिस की सदारत प्रिंसिपल कॉलिज डाक्टर ऐम बालाकरशना ने की । उन्हों ने सिलसिला ख़िताब जारी रखते हुए कहा कि अमरीका ने दूसरी जंग-ए-अज़ीम के आख़िरी दिनों में 16 जुलाई 1945 को जापान के शहर हीरोशीमा पर और 8 अगस्त 1945 -ए-को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर एटमी असलाह गिराकर दुनिया में सोपर पावर का मौक़िफ़ हासिल करलिया जबकि 1914 से 1918 में लड़ी गई पहली जंग-ए-अज़ीम से पहले योरोपी सियासत में बर्तानिया , फ़्रांस , जर्मनी ,आस्ट्रेलिया , हंगरी , रूस और तुर्की को बड़ी ताक़तें समझा जाता था लेकिन माबाद जंग बर्तानिया और फ़्रांस ही बड़ी ताक़तों के तौर पर बाक़ी रहे । उन्हों ने कहा कि 1935 से 1945 में लड़ी गई दूसरी जंग-ए-अज़ीम के बाद फ़्रांस , बर्तानिया और जापान के कमज़ोर पड़ जाने के बाइस सोवीट यूनीयन और अमेरीका आलमी सयासी उफ़ुक़ पर ज़बरदस्त ताक़त बन कर उभरे और इन दोनों ममालिक ने दुनिया को दो ब्लाकों में तक़सीम करदिया ।

सोवीट यूनीयन के ज़ेर-ए-असर मशरिक़ी यूरोप के कम्यूनिटी ममालिक मशरिक़ी बलॉक में और अमरीका के ज़ेर-ए-असर ग़ैर कमीयूनिसट ममालिक मग़रिबी बलॉक में शामिल होगए । इस तरह दो अज़ीम ताक़तों के दो कुतुबी निज़ाम आलम-ए-वुजूद में
आए । सोवीट यूनीयन के 1991 में दाख़िली कमज़ोरीयों के बाइस रूबा ज़वाल होजाने के बाइस उस वक़्त के अमरीका सदर जॉर्ज बुश सीनईर ने नया आलमी निज़ाम का नारा दिया जो कुछ और नहीं बल्कि अमरीकी बरतरी का नाम है । आज अगर चीका
अमरीका के मद्द-ए-मुक़ाबिल कोई वाहिद बड़ी ताक़त नहीं है लेकिन चीन और जापान अमेरीकी आलमी हुक्मरानी की राह में एक रुकावट बने हुए हैं जबकि हिंदूस्तान भी यक कुतुबी निज़ाम को तस्लीम नहीं करता । उन्हों ने कहा कि यक कुतुबी
निज़ाम आरिज़ी है जबकि दुनिया तेज़ी से हमा कुतुबी निज़ाम की सिम्त गामज़न है । उन्हों ने याद दिलाया कि आलमी बरतरी केलिए अमरीका एक मंसूबा बंद और मुनज़्ज़म अंदाज़ में 1945 से ही कभी जमहूरीयत , कभी आज़ादी , कभी इंसानी हुक़ूक़ तो कभी दहश्तगर्दी के नाम से अक़्ता आलम के ममालिक के दाख़िली उमूर में मुदाख़िलत का जवाज़ ढूंढता रहा है और आज इस ने अपनी साईंस और टैक्नालोजी की ज़बरदस्त तरक़्क़ी के बाइस सारी दुनिया को आलमगीरीयत में तबदील करदिया है । इस के बावजूद अमरीकी हुक्मरानी के ख़िलाफ़ आलमी राय आम्मा वसीअ तर होती जा रही है । अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असैंबली ,
ग़ैर जांबदार तहरीक और दूसरे बैन-उल-अक़वामी फ़ोर्म आवाज़ उठा रहे हैं ।
उन्हों ने क़वी उम्मीद ज़ाहिर की है कि अमरीका अब अपनी मनमानी करने से गुरेज़ करेगा और वो आलमी उमूर केलिए रूस , चीन , यूरोप , जापान जैसे ताक़तवर ममालिक से ताईद और हिमायत हासिल करेगा । उन्हों ने आइन्दा 25 बरसों में सुपर पावर का तसव्वुर ख़तन हो जाने का क़वी इमकान ज़ाहिर किया ।

उन्हों ने किताबों के मुताला को सरचश्मा फ़ैज़ान क़रार दिया और कॉलिज की लाइब्रेरी में इन की तंसीफ़ करदा किताबों की मौजूदगी पर मुसर्रत का इज़हार किया । उन्हों ने उर्दू मीडियम के तलबा-ए-को पढ़ाने वाले असातिज़ा को सच्ची लगन के साथ अपने मुफ़व्विज़ा फ़राइज़ अंजाम देने का मश्वरा दिया । लेकचर पोलीटिक्ल साईंस मुहतरमा समीरा नाज़नीन और लेकचरर उर्दू डाक्टर असलम फ़ारूक़ी
ने डाक्टर अबदुल क़य्यूम की इलमी ख़िदमात को ज़बरदस्त ख़िराज-ए-तहिसीन पेश किया और उन्हें एक ताबीर किया । प्रिंसिपल डिग्री कॉलिज डाक्टर ऐम बाला क्रिशना ने डाक्टर अबदुल क़य्यूम की शाल पोशी करते हुए गुलदस्ता पेश या ।
तो सेवी लकचर के इख़तताम पर बेहतर तालीमी मुज़ाहरा करने वाले तलबा को डाक्टर अबदुल क़य्यूम के हाथों इनामात दिए गए और लकचरर जनाब मुहम्मद मुस्तहसिन के इज़हार-ए-तशक्कुर पर तो सेवी लेकचर का इख़तताम अमल में आया ।
इस मौक़ा पर इकनॉमिक्स लेकचरर मुहतरमा सबीहा शरीफ़ और दूसरों के बिशमोल तलबा-ए-ओ- तालिबात की कसीर तादाद मौजूद थी।