दुबलापन बीमारी की अलामत नहीं!

मुंबई, 01 फरवरी: ( एजेंसी) आम इंसानों में एक ऐसी सोच पाई जाती है जिसके तहत मोटे लोगों को सेहतमंद और दुबले-ओ-छरीरे लोगों को गैरसेहतमनद तसव्वुर किया जाता है जबकि तिब्बी नुक़्ता-ए-नज़र से ये बात बिलकुल ग़ैर दुरुस्त है । आदमी चाहे दुबला हो या मोटा वो चाक़ व चोबंद और चुस्त होना चाहीए ।

अगर कोई शख़्स दुबला है तो इसका मतलब ये भी नहीं कि वो मुकम्मल तौर पर सेहतमनद है । दुबलापन और मोटापा दरअसल सेहतमनद होने की ग्यारंटी नहीं लेकिन ये बात भी अपनी जगह मुस्लिमा है कि दुबला शख़्स जितना फुर्तीला और फिट होगा मोटा शख़्स इतना फुर्तीला और फिट नहीं होगा ।

कभी कभी ऐसा भी देखने में आता है कि फ़लां फ़लां शख़्स दो साल पहले हिंदूस्तान से दुबई रवाना हुआ था और जब वापस आया तो इस पर मोटापा ग़ालिब आ गया । अब देखने और मिलने वाले दोस्त अहबाब इससे ये कह कर मिल रहे हैं कि आप तो सेहत मंद होकर लौटे हैं जबकि मुतज़क्किरा शख़्स मोटापे से परेशान हो गया है ।

इसके बरअक्स अगर कोई एक या दो साल के बाद किसी दीगर मुक़ाम से दुबला होकर लौटता है तो मिलने और देखने वाले ये कहते हैं आप की हालत बहुत रह गई है जबकि हक़ीक़त ये है कि मज़कूरा शख़्स इंतिहाई सेहतमंद और खुद को हल्का फुलका महसूस कर रहा है ।

लिहाज़ा ये बात ज़हन नशीन कर लें कि दुबला होना बीमारी की और मोटा होना सेहतमंदी की अलामत नहीं बल्कि आपका फिट और फुर्तीला होना अहमीयत का हामिल है और फिट रहने के लिए वक़्त पर खाना वक़्त पर सोना मामूली वरज़िश नमाज़ और डयूटी के इलावा दीगर मशाग़ुल का भी वक़्त के मुताबिक़ इस्तेमाल कीजिए ।