दूध ओर दूध से बनने वाली अशीया में मिलावट !

खुसुसी रिपोर्ट- हैदराबाद 28 नवंबर। कहते हैं कि सेहत मंद जिस्म में ही सेहत मंद दिमाग़ होता है,लेकिन मिलावटी और नक़ली अशीया के सबब ना जिस्म सेहत मंद रहा और ना ही दिमाग़ ,डिप्रेशन ,ब्लड प्रैशर और शूगर जैसी बीमारीयों का बढ़ना उसके अहम तरीन वजूहात हैं। इंसानी सेहत के हवाले से यक़ीनन ये एक अलमीया है कि ख़ुरद नोश( खाने पीने) के सामान का असली और क़ुदरती शक्ल में हुसूल अब गुज़रे ज़माने की बात होती जा रही है,जबकि अच्छी सेहत केलिए अशीया ख़ुर्द नोश का अपनी क़ुदरती हालत में होना ज़रूरी है।

मगर अच्छी और असली चीज़ें मिलावट ख़ोरों की हरकतों की वजह से अपनी असलीयत और माअनवियत खो चुकी हैं।ख़ास कर ग़िज़ाई अशीया में मिलावट का मुआमला इंतिहाई तशवीशनाक मसला बनता जा रहा है,जिस पर कंट्रोल करने की सख़्त ज़रूरही। चूँकि इस से एक तरफ़ लोगों की मेहनत व मशक़त से कमाई गई रक़म बर्बाद होरही है तो दूसरी तरफ़ उनकी सेहत भी ख़राब होरही है।

बा वसूक़ ज़राए के मुताबिक़ शहर में बहुत सारी ग़िज़ाईअशीया में मिलावटखोरी में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा होगया है जिसमें दूध और दूध से तैय्यार की जाने वाली अशीया सरे फ़हरिस्त है। दूध एक ऐसी क़ुदरती चीज़ है जो हर अमीरो ग़रीब कीज़रूरीयात का हिस्सा है मगर दुध् या दूध से तैय्यार की जाने वाली अशीया केलिए महंगी क़ीमत अदा करने के बाद भी अवाम इस बात पर मुतमईन नहीं हो पार है हैं कि ख़रीदा गया दूध या दूध की अशीया असली है या इसमें मिलावट की गई है।

जहां तक दूध की बात है ,तो पहले पयाक किया गया दूध शक के दायरा में रहता था और इसी लिए लोग दुकानों से पैकेट वाले दूध ख़रीदने के बजाय अपने इलाक़े और मुहल्ले में मौजूद ,दूध की डोडी से दूध ख़रीदना ज़्यादा तर्जीह दिया करते थे मगर बताया जाता है कि अब इन दूध की डोडियों में मिलावटी दूध सरबराह किया जा रहा है ,जिस से अवाम कश्मकश में मुबतला हैं कि आख़िर खाउं तो खाउं किया ओरपए तो पियें किया?। इत्तिला के मुताबिक़ शहर में कई ऐसि डोडी मौजूद हैं जहां दूध में वारना पाउडर, विजए डेरी और दीगर ख़ानगी कंपनीयों की कम चिकनाई और कम क़ीमत वाले दूध और दीगर पाउडर मिला कर दूध फ़रोख़त किया जा रहा है।

शहर के एक डोडी में काम करने वाले ग्वाले ने अपनी शनाख़्त मख़फ़ी रखने की शर्त पर बता या क़े वारना ,नामी पाउडर मार्किट में फ़ी पियाकेट 180रुपय में दस्तयाब है जिसे दूध निथारने से पहले ही पानी में घोल कर महफ़ूज़ रख लिया जाता है और इसतरह एक केलोवज़नी पाउडर से आठ ता दस लीटर सफ़ैद पानी तैय्यार कर लिया जाता है और फिर दूध निथारने वाली बिकट में उसे ख़ामोशी से उंडेल कर ग्राहक के सामने दूध निथार ने का अमल मुकम्मल किया जाता है ताकि ग्राहक ये तसव्वुर करे कि उसकी आँखों के सामने निथारा गया दूध बिलकुल असली है और फ़िलवाक़े ग्राहक ऐसा ही तसव्वुर करते हैं ।

इस काम में ये ग्वाले (जिन्हें शमाली हिन्द से लाया जाता है)ग्राहक की आँख में धूल झोंकने में माहिर होते हैं। जबकि शहर के बाअज़ डोडियों मैं डेरी फ़ार्म के मालिक विजए डेरी या ख़ानगी कंपनीयों की कम क़ीमत वाले (25 ता 30 रुपय फ़ी लीटर) दूध ख़रीद कर उसे अपने डोडी के दूध में मिलाकर उसे फ़ी लीटर 48 रुपय फ़रोख़त कररहे हैं।इसी तरह दूध से तैय्यार किए जाने वाले खोवा के बारे में इन्किशाफ़ हुआ है कि दिन बदिन दूध की बढ़ती हुई क़ीमत के सबब बाअज़मुक़ामात पर खोवा में कोउन नामी पाउडर,मैदा और आलू, रतालू वग़ैरा मिलाकर फ़रोख़त किया जा रहा है।नुमाइंदा सियासत ने जब इस हवाले से मालूम करने की कोशिश की तोमुताल्लिक़ा अफ़राद ने पहले तो इनकार करदिया

ताहम बाद में काफ़ी जद व जहद के बाद उन्हों ने अपना नाम ज़ाहिर ना करने की शर्त पर चंद दुक्का नात की निशानदेही की जहां से हासिल किए गए खोवे में मिलावट का शक सही साबित हुआ। सितम ज़रीफ़ी ये है कि मार्किट में फ़रोख़त की जाने वाली दूध की दीगर अशीया भी मिलावट की लानत से पाक नहीं है,मसलन ,दही ,घी,आइसक्रीम ,मिठाईयाँ और इस तरह की दीगर अशीया में मिलावट करते हुए अवाम के मेहनत की कमाई लुटी जा रही है और मुताल्लिक़ा महिकमा इस हवाले से मुसलसल चशमपोशी इख़तियार करता जा रहा है। अवाम ये सवाल कररहे हैं कि इस किस्म की काबिले जुर्म हरकत से किया महिकमा सिवल स्पलाई या महिकमा अमोर सारफ़ीन बे ख़बरही ? अगर नहीं तो अवामी सेहत से खिलवाड़ करने वालों के ख़िलाफ़ कारराई क्यों नहीं की जाती ? ।

शहर के चंद बुज़ुर्गों का कहना है कि मुताल्लिक़ा महिकमा की मिली भगत के बगै़र इस क़दर वसीअ पैमाने पर मिलावट ख़ोरी होहि नहीं सकती, उनके मुताबिक़ , ऊपरसे नीचे तक सब के सब माली मुफ़ाद केलिए बदउनवानी में मुलव्वस है वजह है कि जल्द से जल्द और ज़्यादा से ज़्यादा दौलत हासिल करने के हिर्स में लालची अफ़राद बेखौफ-ओ-ख़तर अवामी सेहत से खिलवाड़ कररहे हैं जिन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं ।