दूध के इस्तेमाल के कई तरीक़े

कहते हैं कि दूध एक मुकम्मल ग़िज़ा है। Milk is a Complete Food और ये बात अपनी जगह बिलकुल दुरुस्त भी है । बच्चा से लेकर पहलवान तक दूध की एहमीयत को समझते हुए उसे नोश (ग्रहण)करना अपने लिए ऐन सेहत मंद तसव्वुर करता है ।

बच्चा तो आख़िर बच्चा ही होता है । पहले वो माँ के दूध पर गुज़ारा करता है और उसके बाद अगर ज़रूरत हो तो उसे डिब्बे का दूध भी दिया जाता है। छोटे बच्चे भैंस और गाय का दूध जल्द हज़म नहीं कर पाते लिहाज़ा उन्हें डिब्बे का दूध दिया जाता है जिस में उतनी ही ग़िजाईयत होती है जिसे बच्चा हज़म कर सके ।

रात में सोते वक़्त अगर एक गिलास गर्म दूध ( बगै़र शक्कर के ) पिया जाय तो नींद बहुत अच्छी आती है । ये एक आज़मूदा ( आजमाया) नुस्ख़ा है । बीमारी में भी अगर ग़िज़ा का इस्तेमाल मुश्किल हो गया हो तो मरीज़ों को दूध पिलाया जाता है। मुल्क के जितने भी सरकारी हॉस्पिटल्स हैं वहां मरीज़ों की रोज़मर्रा की ख़ुराक में दीगर अशीया के इलावा एक अदद उबला हुआ अंडा और दूध भी शामिल होता है जिस से दूध की इफ़ादीयत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।

दूध एक ऐसी ग़िज़ा है जिस के साथ फलों को शामिल कर के इस का मिल्क शेक बनाया जाता है जिस में केले ( मौज़) का मिल्क शेक सेब और तरबूज़ का शेक इंतिहाई मक़बूल है । हमारे रोज़मर्रा के इस्तेमाल का मशरूब यानी चाय भी बगै़र दूध के मज़ा नहीं देती । यहां तक मुख़्तलिफ़ मीठी डिशेस में भी दूध का बाक़ायदा इस्तेमाल किया जाता है ।

ईद-उल-फ़ित्र के मौक़ा पर तैयार किया जाने वाला शीरख़ोरमा जिस का दूध के बगै़र तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता । आलम इस्लाम में मक़बूल तरीन ( ज़्यादा पसंदीदा) मीठी डिश का हामिल है ।