दूध में मिलावट करने वालों को दी जाए उम्र कैद: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। मुल्क में दूध में हो रही मिलावट पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए जुमेरात के रोज़ सुप्रीमकोर्ट की जस्टिस केएस राधाकृष्णन की सदारत वाली बेंच ने ऐसा जुर्म करने वालों को उम्र कैद की सज़ा देने के बारे में सभी रियासती हुकूमतो से जवाब तलब किया। बेंच ने कहा कि यह बहुत ही संगीन मामला है और हुक्मरानो को दूध की मिलावट के मसले पर रोक लगाने के लिये फौरन कदम उठाने चाहिए।

जजों ने कहा कि मिलावटी दूध से सेहत को खतरा होता है और इसे ऐसे जुर्म के लिये सज़ा बनाने पर जोर दिया जिसके लिये उम्र कैद तक की सजा हो। कोर्ट ने एक मुफाद ए आम्मा की दरखास्त पर सुनवाई के दौरान सभी रियासती हुकूमतों से दूध की मिलावट के मसले और इस जुर्म के लिये उम्र कैद की सजा को फरहाम या दस्तयाब करने के लिये कानून में तरमीम के बारे में जवाब मांगा है। उत्तर प्रदेश, मगरिबी बंगाल और ओडीशा में ऐसा नियम बनाया जा चुका है।

अदालत ने सख्त शराइत के तहत दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं करने पर उत्तर प्रदेश की हुकूमत को भी आडे हाथ लिया और रियासत की हुकूमत से इस तरह के ज़ेर ए गौर मामलों की तफ्सील मांगी है। अदालत ने रियासती हुकूमतों को जवाब दाखिल करने के लिये तीन हफ्ते का वक्त दिया है।

दरखास्तगुजारों के वकील अनुरोग तोमर की दलील थी कि मुख्तलिफ रियासतों , खासकर शुमाली हिंद के रियासतों , में सिंथेटिक मवाद (Material) की मिलावट वाला दूध फरोख्त किया जा रहा है जिससे सारिफीन की सेहत और ज़िंदगी को खतरा हो रहा है।

Food Safety and Standards Authority की तरफ से 2011 में जमा किये गये दूध के नमूनों से मालूम चला है कि मुल्क में बडे पैमाने पर मिलावटी दूध फरोख्त हो रहा है।