दूसरी शादी के बाद भी पहली बीवी को देना होगा भत्ता: हाईकोर्ट

बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक हुक्म में कहा है कि कोई मुस्लिम अफराद दूसरी शादी करने के बाद अपनी पहली बीवी को भत्ता देना बंद नहीं कर सकता है।

जस्टिस रोशन डाल्वी की पीठ ने यह भी कहा कि शरीयत कानून में साफ कहा गया है कि कोई आदमी तभी दूसरा निकाह कर सकता है, जब वह दोनों बीवी का यक्सा तौर पर खर्च उठाने के काबिल हो। हाईकोर्ट ने यह तब्सिरा (टिप्पणी) एक ख्वातीन की उस दरखास्त पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें सौहर के तरफ से दिए जा रहे भत्ते में बढ़ोतरी की मांग की गई है।

हाईकोर्ट ने अपने हुक्म में कहा कि यदि (शौहर) कमा रहा और कमा सकता है और उसने दूसरी शादी कर ली है तो ऐसे में वह पहली बीवी का भत्ता कम नहीं कर सकता है।दरखास्त में औरत ने फेमिली कोर्ट के उस हुक्म को चुनौती दी है, जिसमें उसके सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौहर को उसे हर महीने 7900 रुपये भत्ता देने का हुक्म दिया गया था। ख्वातीन के सौहर ने कहा था कि उनका तलाक हो चुका है, हालांकि वह अदालत में इस बात का कोई सुबूत पेश नहीं कर सका।

फैमिली कोर्ट ने सौहर की तनख्वाह का चौथाई हिस्सा यानी 7900 रुपये पहली बीवी को भत्ते के तौर पर देने का हुक्म दिया था। लेकिन हाईकोर्ट ने माना फैमिली कोर्ट ने भत्ते की राशि सही तय नहीं की। उसने कहा कि कानून की नजर में सहर और बीवी बराबर हैं।

इसी के साथ हाईकोर्ट ने भत्ते की रकम 18000 रुपये तय कर दी। इस पर सौहर ने कहा कि उसकी नौकरी जा चुकी है ऐसे में वह इतना ज्यादा भत्ता नहीं दे सकता है। लेकिन उसके तर्क को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नौकरी जाना भत्ता नहीं देने की कोई बुनियाद नहीं हो सकती है। अगर उसने दो शादियां की हैं, तो उसे दोनों बीवीयों को बराबर का हक देना होगा।