* मुर्तद औरत दरबदर भटकने पर मजबूर
टान्डोर।( सियासत न्यूज़) प्यार के जुनून में ईमान से हाथ धोने वाली माशूक़ा को इस के आशिक़ ने दरदर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया।
ये ख़बर वंसथली पोरम की रहनेवालि सुधा रानी की है जो कभी शाहीन बेगम हुवा करती थी, वो ग़ैर मुस्लिम नौजवान मलीका रज्जन के इशक़ में गिरफ़्तार होकर मुर्तद होगई थी(अपने धर्म को बदल लीया था) और 1999 में दोनों ने हिन्दू रिवाज के मुताबिक़ शादी करली थी।
चंद साल गुज़रने के बाद शाहीन से सुधा बनने वाली लड़की जिसे इस के गैरतमंद माँ बाप ने घर से निकाल दिया था, अपने शौहर मल्लिकार्जुन के रवैया से परेशान होगई।
मल्लिकार्जुन या लाल मंडल के सरकारी दवाखाने में मुलाज़िम है और पीछले छः माह से अपनी बीवी से ताल्लुक़ात खत्म कर चुका है। शौहर की तलाश में ये लड़की तीन दिन तक टान्डोर रेलवे स्टेशन पर बे यारो मददगार पड़ी रही।
टान्डोर की एक समाजी तंज़ीम की सदर विरह लक्ष्मी ने सुधा को अपने साथ लाकर 5000 रुपया की मदद करते हुए रुख़स्त किया। इस वाक़िया का इबरतनाक पहलू ये है कि नफ़स की हक़ीर ख़ाहिश पर ईमान का सौदा करनेवाली इस लड़की की सज़ा उस की मासूम बेटी तीन साला वर्णीता को मिल रही है। अब ना माँ को कोई सहारा देने तैयार है और ना बाप इस के नसीब में है। ये बेदीनी-ओ-बेराह रवी का नतीजा है। इस ज़िमन में इतना ही कहा जा सकता है कि जैसी करनी वैसी भरनी।