देगलूर में ख़ून का अतीया कैंप

दिगलूर‌(deglur) 29 जनवरी: बज़म तनवीर अदब बयाद आँजहानी हशनाजी नेलमवार समाजी-ओ-सयासी क़ाइद ख़ून अतीया कैंप का इनइक़ाद अमल में आया। हर साल की तरह इससाल भी बज़मे तनवीर अदब ने प्रोग्राम मुनाक़िद किया। मगर इस बार अपने चहेते क़ाइद आँजहानी मुश्ताजी नेलमवार जो 7 सितंबर को उन की अचानक मौत ने सारे शहर को सकते में डाल दिया था।

क़ाज़ी सय्यद नोमान अली और डा. मुहतरम मुहम्मद मुजीब डा. शेख अय्यूब सेठ की ज़ेरे निगरानी ये प्रोग्राम अमल में आया। इस जलसे में मुमताज़ शख्सियतों ने हिस्सा लिया और 100 लोगों ने ख़ून का अतीया दिया। इस मौक़े पर कृष्ण राव‌देश पांडे ने कहा कि नेलमवार एक अच्छी शख्सियत थे जो दिगलूर‌(deglur) की तरक़्क़ियाती कामों में बढ़ चड़ कर हिस्सा लिया और सयासी साथी सय्यद हामिद अली तनवीर मुजाहिद आज़ादी को याद करते हुए कहा कि दिगलूर‌(deglur) के अज़ीम क़ाइदीन में से अलग थे आज वो हमारे बीच नहीं मगर उन की याद बाक़ी है।

उन्होंने तनवीर सुख़न, तौक़ीर सुख़न किताबें लिखी। सय्यद मुहसिन अली एडवोकेट ने मुश्ताजी जी नेलमवार की कारकर्दगी को सराहाते हुए कहा कि वो सैकूलर ज़हन के मालिक थे। काम की जिद्दत लगन, कूट कूट कर भरी पड़ी थी और सय्यद क़ाज़ी हामिद अली तनवीर के बारे में कहा कि मेरे बड़े भाई दीनी‍ ओ‍ दुन्यवी कामों पर बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिए वो दिगलूर‌(deglur) में 40 बरसों से ख़तीब , क़ुज़ात, म़्यूनिसिपल कौंसल के रुकन रहे। सयासी मैदान में अगर देखा जाए तो हर कोई उन के मश्वरे के बगैर कोई भी काम नहीं करता था। वो एक बड़े मुक़र्रर होने के इलावा मुफ़क्किरे इस्लाम थे।