इतवार की रात ग्यारह बजे बेऊर जेल पर दूर से नक्सली हमला होता है। जेल के अंदर सायरन बजने लगते हैं। जल्द ही जेल में तैनात सेक्यूरिटी अहलकार जवाबी कार्रवाई के लिए अपने-अपने मुकाम पर हरकत में आ जाते हैं। उन्हें अफसरों के ऑर्डर का इंतजार था। वायरलेस पर नक्सली हमले का मैसेज फ्लैश किया जाता है। क़ैदियों को अपने-अपने सेल में रहने की हिदायत दिया जाता है। नक्सलियों के सेल को जदीद हथियारों से लैस जवान अपने घेरे में ले लेते हैं। जेल के टावर से बड़ी-बड़ी लाइट से अंधेरे में सर्च मुहिम शुरू हो जाता है। बेऊर मोड़ से जेल की तरफ आने-जाने वाले रास्ते को सील कर दिया जाता है।
एसएसपी मनु महाराज और सिटी एसपी जयंत कांत अपने दल-बल के साथ पहुंचते हैं। जेल का गेट खुल जाता है और उसमें दाखिल कर जाते हैं। सारे सेक्यूरिटी मुलाज़िमीन को अपने-अपने जगह पर पोजीशन लेने और फायरिंग करने का इंतजार करने की हिदायत देते है।
हिदायत देने पर एसएसपी फिर बाहर निकलते है और वहां तैनात सेक्युर्टी मुलाज़िम को जवाबी कार्रवाई के लिए इंतजार करने ही हिदायत देते है। उनके पीछे-पीछे कुछ ही देर में फुलवारी डीएसपी, बेऊर, गर्दनीबाग, फुलवारी थाना की पुलिस दल-बल के साथ पहुंचती है और बेऊर जेल के इर्द-गिर्द घेराबंदी कर देती है।
इन सबके दरमियान में इजाफ़ी पुलिस फोर्स भी जेल पहुंच जाते है। चौंकिए मत यह बेऊर जेल पर हमले का सीन नहीं था, बल्कि पटना पुलिस और बेऊर जेल इंतेजामिया की तरफ से मुश्तरका तौर से मॉक ड्रिल का प्रैक्टिस किया गया था। इस दौरान नक्सली या दहशतगर्द हमले पर क्या-क्या कार्रवाई की जानी है इसका प्रैक्टिस किया गया। एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि मॉक ड्रिल में कहीं भी खामियां नजर नहीं आयी।