देवानंद का मुतबादिल मिलना नामुमकिन है: नंदा

आँजहानी(स्वर्गवासी)देवानंद ने जब अपनी पुरानी फ़िल्म “हम दोनों” को रंगीन बनाकर पेश किया था तो उन्होंने नंदा को भी फ़िल्म के प्रीमीयर पर मदऊ (आमंत्रित) किया था जो साधना के साथ फ़िल्म की दूसरी हीरोइन (अभीनेत्री) थीं, लेकिन नंदा ने प्रीमीयर में शिरकत नहीं की थी और फ़िल्म अपने अरकान ख़ानदान के साथ एक मल्टी प्लेक्स में देख ली।

फ़िल्म देख कर वो इतनी जज़बाती हो गईं कि फ़ौरी ( फौरन) जुहू में वाक़्य ( मौजूद) देवानंद की रिहायश गाह पहुंच गएं। देवानंद ने पहले पहल उनको नहीं पहचाना, लेकिन बादअज़ां ( इसके बाद) वो पहचान गए कि वो नंदा के सिवा कोई और नहीं हो सकता। नंदा देवानंद से लिपट कर ख़ूब रोई थीं, क्योंकि उनकी मुलाक़ात तकरीबन 40 साल बाद हुई थी। नंदा ने ये वाक़्या ( घटना) अख़बारी नुमाइंदों ( पत्रकारों) को एक हालिया (ताजा) मुलाक़ात के दौरान बताया। उन्होंने कहा कि देवानंद के गुज़रने के बाद अब फ़िल्मी दुनिया से सही मायनों ( वास्तव) में ग्लैमर रुख़स्त हो गया। देवानंद का मुतबादिल (इनके जैसा) मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।