शरई कोर्ट के शुरु होने पर हिना जहीर ने कहा कि दारुल कजा के खुलने के बाद अब महिलाओं को मर्द काजियों के सामने हिचकिचाने की जरुरत नहीं होगी। महिलाएं दारुल कजा में अब खुलकर अपनी पीड़ा बता सकेंगी। दारुल कजा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस कोर्ट के खुल जाने से मुस्लिम महिलाओं को सही रास्ता तो दिखाया ही जाएगा, साथ ही उन्हें हर जरूरी जानकारी भी दी जायेगी। पीड़ित महिलाओं को खुद के जीवन को सरल और मजबूत बनाने के लिए जरूरी सलाह और जानकारी भी दी जायेगी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस्लाम में बेटों को नेमत और बेटियों को रहमत कहकर बराबर का हक दिया गया है। निकाह के बाद औरतें किसी मर्द की गुलाम या दासी नहीं, बल्कि जीवन संगिनी होती हैं। उन्होंने कहा कि कुरान की बातों से अलग मौलाना ये कहते है कि एक बार में ही तीन तलाक होता है, जबकि ऐसा नहीं है। कुरान के अनुसार तीन माह में रुक-रुक कर तलाक देने का जिक्र है ।
वहीं आलिमा मारिया फजल ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने और तरक्की पर ले जाने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। हम उन्हें जागरूक और शिक्षित कर उन्हें उनके अधिकार बताएंगे। कोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस कोर्ट में सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकेंगी, जबकि उनके मामलों की सुनवाई महिला मुफ्ती ही करेंगी।